New EV Policy: इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में केंद्र सरकार का बड़ा कदम, New EV Policy को दी मंजूरी

भारत सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए एक ई-वाहन नीति को मंजूरी दी है। नई नीति के तहत अब देश में कंपनियां न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए प्लांट लगा सकती हैं।

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भारत में बहुत जल्द वो वक्त होगा जब पेट्रोल-डीजल वाल गाड़ियों की जगह सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां दौड़ती दिखाई देंगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है। केंद्र सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने के लिए एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (New EV Policy) को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत, इच्छुक कंपनियों को भारत में मैन्युफेक्चरिंग प्लांट (विनिर्माण सुविधा) स्थापित करनी होगी। जिसके लिए न्यूनतम निवेश 4150 करोड़ रुपये होगा, वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार, 15 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर भारत में आयातित इलेक्ट्रिक कारों पर टैक्स बेनिफिट्स उठाने के लिए दिशानिर्देशों और पात्रता को स्पष्ट किया।

देश में बढ़ेगा EV इकोसिस्टम
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस कदम से नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करने और ईवी इकोसिस्टम को बढ़ाने और मेक इन इंडिया पहल में समर्थन मिलने की उम्मीद है. इम्पोर्ट किए जा सकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुल्क छूट वार्षिक पीएलआई प्रोत्साहन (6,484 करोड़ रुपये) या मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा किए गए निवेश, जो भी कम हो, तक सीमित है.

नई EV Policy की खास बाते

कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता जो भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने और स्थानीय रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करने के लिए तीन साल की समय सीमा का पालन करने का वादा करता है, उसे ईवी पर आयात कर में कटौती मिलेगी। हालांकि, यह नीति ईवी निर्माताओं को एक वर्ष में अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारों को भारत लाने की अनुमति देती है। पात्रता मानदंड के तहत, ईवी निर्माता को कार बनाने के लिए स्थानीय बाजारों से 35 प्रतिशत कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। यह भी कहा गया है कि इन निर्माताओं को पांच वर्षों के भीतर घरेलू मूल्य वर्धन (डीवीए) का 50 प्रतिशत तक पहुंचना होगा।

टैक्स बेनिफिट्स के महत्वपूर्ण बाते

इन कार निर्माताओं द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा। बशर्ते उनकी कीमत 35,000 डॉलर (लगभग 29 लाख रुपये) से ज्यादा न हो। इस समय, केंद्र सरकार भारत में लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक का इंपोर्ट टैक्स (आयात कर) लगाती है।

भारत में इन्वेस्टमेंट को मिलेगा प्रोत्साहन

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाई जा रही इस पॉलिसी की मदद से भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने की कोशिश की जाएगी। इसके जरिए इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की जानी-मानी कंपनियों को भारत में इनवेस्ट करने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा। केंद्र सरकार भारत में अभी लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक का आयात कर लगाती है।

मंत्रालय के अनुसार, “यह नीति भारतीय उपभोक्ताओं को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करेगी, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगी, ईवी निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करेगी। जिसकी वजह से उच्च उत्पादन मात्रा, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन लागत में कमी, कच्चे तेल के आयात में कमी, व्यापार घाटे में कमी, खासकर शहरों में वायु प्रदूषण में कमी होगी और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

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