महाराष्ट्र में दो गुटों की झड़प में ‘जल उठा जलगांव’… हॉर्न बजाने को लेकर हुआ विवाद
Jalgaon Clash: महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पलाढ़ी गांव में नए साल की रात को हुई गंभीर घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है। एक विवाद के चलते हिंसा भड़क गई। झड़प के दौरान जमकर पत्थरबाजी और आगजनी की घटना भी हुई है। जिसमें 12-15 दुकानें और कई वाहन जला दिए गए.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, कथित तौर राज्य सरकार में मंत्री गुलाब राव पाटिल की पत्नी को ले जा रही गाड़ी को लेकर दो गुटों में तनाव बढ़ा और इसके बाद दो गुटों में झड़प हो गई। घटना के बाद जलगांव के अलग-अलग हिस्सों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
क्या है पूरा मामला?
प्राथमिक रूप से मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पलाढ़ी गांव में 31 दिसंबर की रात पथराव और आगजनी की घटना हुई है। कथित तौर पर मंत्री गुलाबराव पाटिल के परिवार को ले जा रहे वाहन के ड्राइवर द्वारा हॉर्न बजाने से विवाद पैदा हुआ। इसके बाद पलाढ़ी गांव के कुछ युवक और शिवसेना के कुछ कार्यकर्ता चिल्लाने लगे। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने पलाढ़ी गांव में पथराव और आगजनी की।
मीडिया के मुताबिक, पुलिस ने इस घटना के बारे में कहा है कि बहस मौके पर ही खत्म हो गई थी। हालांकि, लेकिन बाद में इलाके के कुछ लोग गांव के चौराहे पर गए और विरोध प्रदर्शन किया।
आम जनता को उठाना पड़ा नुकसान
माटले ने इस घटना में आम जनता के बड़े नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, “दंगों में जली दुकानों और वाहनों का मुआवजा कौन देगा? जिन परिवारों की रोजी-रोटी इस घटना में उजड़ गई है, उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अगर मंत्री गुलाबराव पाटिल अपने ही जिले के प्रशासन को संभालने में असमर्थ हैं, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.”
एनसीपी की मांग: दोषियों पर सख्त कार्रवाई और मुआवजा
एनसीपी ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही, पीड़ितों को तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए ताकि उनकी आजीविका फिर से बहाल हो सके. माटले ने शिवसेना कार्यकर्ताओं की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा, “इस घटना में सरकार ने लोगों की रक्षा करने के बजाय उनके खिलाफ दमन का काम किया है. यह सत्ताधारियों की जनता के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है.”
सरकार पर गंभीर आरोप
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया. एनसीपी के प्रवक्ता ने कहा, “लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सरकार खुद अगर हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती है, तो यह राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति है.”
इस घटना ने न केवल गांव में अशांति फैलाई, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है. अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या एनसीपी की मांगों को पूरा किया जाता है.
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