
ऐसी मांग करूं तो लानत है मुझ पर…, लोगों की मौत पर राजनीति नहीं करूँगा- उमर अब्दुल्ला
Pahalgam Terror Attack : जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए पीएम मोदी से सवाल किया।
Pahalgam Terror Attack : जम्मू और कश्मीर विधानसभा में एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा, वह 22 अप्रैल को पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों के नाम पर जम्मू और कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा नहीं मांगेंगे. उन्होंने सवाल किया कि क्या उनकी राजनीति इतनी सस्ती है कि वह इस तरह के हमले के पीछे राज्य का दर्जा मांगेंगे. उन्होंने कहा कि वह अभी भी क्षेत्र के लिए राज्य का दर्जा मांगेंगे , लेकिन इस समय नहीं जब देश अभी भी 26 लोगों की मौत का शोक मना रहा है.
मुझ पर लानत है…?
अब्दुल्ला ने कहा, ‘इस मौके पर मैं जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य के दर्जे की मांग नहीं करूंगा। मैं किस मुंह से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य के दर्जे की मांग कर सकता हूं। हम हमेशा राज्य के दर्जे की डिमांड करेंगे, लेकिन आज यदि ऐसी मांग करूं तो मुझ पर लानत है।’ उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी से पूछा जाना चाहिए कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पर पाकिस्तान को क्या जवाब दिया जाना चाहिए।
#PahalgamTerrorAttack | J&K CM Omar Abdullah says, “I will not use this moment to demand statehood. After Pahalgam, with what face can I ask for statehood for Jammu and Kashmir? Meri kya itni sasti siyasat hai? We have talked about statehood in the past and will do so in the… pic.twitter.com/kZqXSRxLmY
— ANI (@ANI) April 28, 2025
उन्होंने कहा कि इस मौके पर तो हम एक ही चीज मांगते हैं कि हमले की कड़ी निंदा और मारे गए लोगों के परिजनों से दिल से हमदर्दी। वहीं उन्होंने हमले के बाद स्थानीय लोगों की भूमिका की भी तारीफ की। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि होटल वालों ने अपने कमरे छोड़े और कहा कि आप लोग यहां रहिए। ऑटो वालों ने कहा कि आपको जहां तक जाना है, हम बिना किसी पैसे को छोड़ेंगे। ऐसी कश्मीरियत को मैं सलाम करता हूं। यही हमारी मेहमाननवाजी है। जान की परवाह किए बिना आदिल ने जान बचाई, लोकल लोगों ने मदद की पूरी कोशिश की।
मुझे नहीं पता मृतकों के परिवारों से कैसे माफी मांगूं : उमर
भावुक अब्दुल्ला ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि मृतकों के परिवारों से कैसे माफी मांगूं… मेजबान होने के नाते यह मेरा कर्तव्य था कि मैं सुनिश्चित करूं कि पर्यटक सुरक्षित लौटें. मैं ऐसा नहीं कर सका. मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं… मैं उन बच्चों से क्या कहूं जिन्होंने अपने पिता को खो दिया और उस पत्नी से क्या कहूं जिसने अपने पति को खो दिया, जिसकी कुछ दिन पहले ही शादी हुई थी? उन्होंने पूछा कि हमारा क्या कसूर था; हम तो बस छुट्टियों में आए थे… जिसने भी यह किया, वह कहता है कि उसने यह हमारे लिए किया, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं: क्या हमने इसे मंजूरी दी थी? क्या हमने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था? हम इस हमले के समर्थन में नहीं हैं,”
ये मौका आतंकवाद के खात्मे की शुरुआत है। ऐसा कोई कदम न उठाया जाए कि अपने दूर हो जाएं। जुमे की नमाज से पहले मस्जिदों में 2 मिनट का मौन रखा गया।