I.N.D.I.A. Alliance: ममता ने लिखी कहानी, नीतीश ने निभाया किरदार और रिलीज से पहले गठबंधन की फिल्म बंद

I.N.D.I.A. Alliance Dispute: लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ कुछ महीने बचे हैं। नरेंद्र मोदी की निगाह पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद दूसरा ऐसा प्रधानमंत्री बनने पर है जो लगातार तीन बार सत्ता के सिंहासन पर बैठेगे। अयोध्या में भव्य राम मंदिर से पैदा हुई हिंदुत्व लहर पर सवार बीजेपी जाति को साधने में भी पीछे नहीं है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हो चुका है। दलितों को लुभाने के लिए बड़ा अभियान शुरू करने का प्लान भी तैयार हो चुका है। दूसरी तरफ विपक्ष खासकर उसके सबसे बड़ा गठबंधन I.N.D.I.A. की नजर हर हाल में मोदी के विजय रथ को रोकने पर है।

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लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही विपक्ष का I.N.D.I.A. हांफने लगा है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि जिसकी पहल पर विपक्षी गठबंधन ने आकार लिया, वही नीतीश कुमार अब पलटी मारने जा रहे हैं। ये वैसे ही है जैसे युद्ध शुरू होने से ऐन पहले सारथी ही पाला बदल ले। नीतीश के संभावित यू-टर्न के अलावा ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी कांग्रेस को आंख दिखा रहे हैं। कई और राज्यों में भी विपक्षी गठबंधन के भविष्य पर सवालिया निशान लगा हुआ है।

बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे के खिलाफ रहे दल भले ही साथ खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और तमाम दलों के बीच रस्साकशी चल रही है. कई बैठकों के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं बनी. इस बीच ममता बनर्जी का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले से कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. उधर नीतीश भी अलग होते नजर आ रहे हैं.

बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए इंडिया महागठबंधन बनाया गया था. जिसमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी, जेडीयू, एनसीपी समेत कई पार्टियां शामिल थीं. इंडिया महागठबंधन को बनाने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सबसे बड़ा और अहम रोल था. उन्होंने ही सभी क्षेत्रीय पार्टियों को इकट्ठा करने का जिम्मा उठाया और 2 जून 2023 को बिहार के पटना में इंडिया गठबंधन बनाया, 23 जून को इस गंठबनंधन की पहली रैली राजधानी पटना में हुई थी, देशभर में इस गठबंधन की चर्चा होने लगी.

हालांकि इस महागठबंधन में सीटों का बंटवारा एक बड़ा मुद्दा है. बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे के खिलाफ रहे दल भले ही साथ खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और तमाम दलों के बीच रस्साकशी चल रही है. कई बैठकों के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं बनी. इस बीच ममता बनर्जी का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले ने कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. उधर नीतीश भी अलग होते नजर आ रहे हैं.

चुनाव से पहले गठबंधन के पक्ष में नहीं थीं ममता बनर्जी- सूत्र

टीएमसी सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी नहीं चाहती थीं कि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन न किया जाए. ममता चाहती थी की जुबानी तौर पर सभी एक दूसरे को समर्थन देंगे. यानी सभी दल अपने अपने राज्यों में अकेले चुनाव लड़ें और सिर्फ मौखिक रूप से एक दूसरे दल को समर्थन करें. चुनाव के नतीजे आने के बाद ही 2024 में बनने वाली सरकार में जिसकी जितनी सीट होगी उसको उसी तरह का रोल दिया जाएगा. ममता चाहती थीं कि कांग्रेस 200 सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी की सीटें क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दे.

जैसे ही इस बात की भनक कांग्रेस को लगी तो उसने अपनी अलग से स्क्रिप्ट तैयार कर ली. कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया. लेकिन इसके लिए सहयोगी पार्टियां तैयार नहीं हुई. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब में पार्टी ज्यादा सीटें मांग रही थी, जबकि दूसरी पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं थी.

कांग्रेस के रवैये से अन्य दल नाराज

इस बीच कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की प्लानिंग की. इसके लिए क्षेत्रीय दलों से बात करने के लिए कांग्रेस ने एक समिति का गठन किया, लेकिन यात्रा शुरू करने से पहले कांग्रेस के किसी नेता ने क्षेत्रीय दलों को पूरी तरह से भरोसा में नहीं लिया, सिर्फ एक पत्र के जरिए यात्रा के बारे में जानकारी दे दी. कांग्रेस के इस रवैये से नीतीश, ममता समेत तमाम दलों के नेता नाराज हो गए.

नीतीश की दमदार स्क्रिप्ट हुई फ्लॉप

वैसे माना जा रहा था कि नीतीश कुमार ने जो स्क्रिप्ट लिखी थी वो वाकई में दमदार होती अगर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मिलकर इस स्क्रिप्ट के मुताबिक अपना रोल अदा करते. नीतीश की ये स्क्रिप्ट चुनावी मैदान में बीजेपी को तगड़ी टक्कर दे सकती थी जिससे 2024 में बीजेपी को झटका लगता.

नीतीश के साथ जाना बीजेपी की मजबूरी!

मजबूरी कहो या कुछ और नीतीश कुमार बीजेपी के लिए फायदेमंद हैं. इनको साथ लिए बिना बिहार में बीजेपी की नैया पार लगना मुश्किल है. इसी को देखते हुए पार्टी ने एक सर्वे कराने का फैसला किया. सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने बिहार में एक सर्वे कराया जिसमें पता चला कि पार्टी कितनी अच्छी कोशिश कर ले सूबे में वो सिर्फ 20, 21 सीटें ही जीत सकेगी. लेकिन अगर नीतीश के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो पार्टी को ज्यादा फायदा होगा. 2019 का चुनाव बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी और नीतीश के गठबंधन को 40 में से 39 सीटें मिली थीं.

सीटों को लेकर नहीं बन पा रही इंडिया गठबंधन में बात

इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच सीटों को लेकर ही फंस रहा था. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस 6 सीटों की मांग कर रही थी वहीं टीएमसी उसे महज 2 सीटें देने के लिए तैयार थी. इस बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी लगातार ममता बनर्जी के ऊपर जुबानी हमले कर रहे थे. नतीजा गठबंधन से टीएमसी अलग हो गई. हालांकि अभी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जिंदा है, लेकिन अखिलेश कांग्रेस के लिए सिर्फ दस-बारह सीट छोड़ने को तैयार है, वहीं महाराष्ट्र में उद्धव की शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुकी है.

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