Politics: यूपी में I.N.D.I.A. को तगड़ा झटका, अलग हुई राहुल-अखिलेश की राहें?
Lok Sabha Election: कांग्रेस और सपा के बीच सीटों शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इसके चलते अखिलेश यादव अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल नहीं होंगे। यूपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन खत्म होने की जानकारी आ रही है। राहुल गांधी पर नहीं आ पा रही थी।अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस की यात्रा से दूरी बनाई है। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के लिए सपा और कांग्रेस में अब गठबंधन नहीं होगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा इस समय उत्तर प्रदेश में है, जहां लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटे हैं।
पहले अखिलेश यादव ने खुद कहा था कि वह रायबरेली या अमेठी में इस यात्रा में शामिल होंगे, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण वह यात्रा का हिस्सा नहीं बने। इससे पहले अखिलेश यादव ने साफ कह दिया था कि अगर कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बात फाइनल नहीं हुई तो समाजवादी पार्टी राहुल गांधी के साथ रायबरेली की यात्रा में शामिल नहीं होगी।
I.N.D.I.A. गठबंधन की पार्टियां कांग्रेस और सपा में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई बात फाइनल नहीं हुई हैं। राहुल गांधी जहां यूपी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंची है तो वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार उम्मीदवारों के नाम घोषित कर रहे हैं। सोमवार को अखिलेश यादव ने 11 लोकसभा उम्मीदवारों के नाम और घोषित कर दिए हैं। उससे पहले 16 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे, जिसमें डिंपल यादव, अक्षय और धर्मेंद्र यादव के नाम शामिल थे।
अखिलेश यादव ने दिया 17 सीट का ऑफर
अखिलेश यादव की पार्टी ने कांग्रेस को पहले 11 और फिर 17 लोकसभा सीटों का ऑफर भी दिया था, जबकि कांग्रेस 20 सीटों की मांग कर रही थी। सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और सपा नेताओं के बीच सोमवार (20 फरवरी) को देर रात तक बातचीत हुई, लेकिन सीटों पर सहमति नहीं बन सकी।
मुरादाबाद-बलिया सीट देने को तैयार नहीं सपा
दोनों दलों के बीच कुछ सीटों को लेकर पेच फंसा है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस मुरादाबाद और बलिया की सीट भी मांग रही थी, जबकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस को ये सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा कि सपा मुरादाबाद की सीट को लेकर किसी भी तरह का समझौता करना नहीं चाहती थी।