
महाराणा प्रताप की जयन्ती आज, जानें उनके कुछ अनमोल विचार

मेवाड़ के 13वें राजा महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में सिसोदिया वंश में हुआ था। भारत के इस महान राजपूत राजा ने अपने राज्य में कई बार मुगल शासकों को पछाड़ा। महाराणा प्रताप को हमारे देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी जाना जाता है
महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था। महाराणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा के लिए संघर्ष करके हुए अपने प्राण त्याग दिए थे।
35 साल तक मेवाड़ पर राज्य करने वाले महाराणा प्रताप की जीवन-गाथा साहस, शौर्य, स्वाभिमान और पराक्रम का प्रतीक है। उन्होंने युद्ध कौशल अपनी मां से सीखा था।
महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी का युद्ध बहुत खास माना जाता है, यहां उन्होंने अकबर को अपने 20 हजार सैनिकों से टक्कर देकर पछाड़ा। उन्हें उनके वफादार घोड़े चेतक की बहादुरी के लिए भी याद किया जाता है।
महाराणा ने उस समय मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी जब दूसरे राजाओं ने मुग़ल बादशाह अकबर के वर्चस्व को स्वीकार कर लिया था।
आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ अनमोल विचार:
अन्याय, अधर्म आदि का विनाश करना संपूर्ण मानव जाति का कर्तव्य है।
ये संसार कर्मवीरों की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
समय इतना बलवान होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक याद रखा जाता है।
समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है। अतः अपने रास्ते पर अडिग रहो।
जो लोग अत्यंत विकट परिस्थितियों में भी झुक कर हार नहीं मानते हैं। वो हार कर भी जीते जाते हैं।