सियासी भंवर में फंसी ममता बनर्जी…बचाव में कूदें 21 वकील

Mamata banerjee: ममता बनर्जी सरकार के 13 साल की सत्ता में यह पहली बार है, जब बंगाल के सियासी भंवर में ममता बनर्जी बुरी तरह फंस गई हैं. दिलचस्प बात है कि सियासी भंवर से निकलने के लिए इस बार ममता का कोई तरकीब भी काम नहीं आ रहा है.

कोलकाता डॉक्टर रेप कांड का जिन्न ममता बनर्जी और उनकी सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है. एक तरफ जहां पिछले 15 दिन से लोग इस कांड के खिलाफ सड़कों पर हैं, वहीं दूसरी तरफ कोर्ट से भी सरकार की लानत-मलामत हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने तो इस केस में पुलिस की भूमिका पर ही सवाल उठा दिया है.

ममता सरकार के बचाव में 21 वकील

सुप्रीम कोर्ट ने जब कोलकाता रेप और हत्या केस पर स्वत: सुनवाई की बात कही तो बंगाल सरकार ने मामले में पक्ष रखने के लिए कांग्रेस के लीडर एवं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के नेतृत्व में 21 वकीलों को मैदान में उतारा.

जिन वकीलों को इस केस की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें वरिष्ठ एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी, संजय बासु, आस्था शर्मा, शृस्तया मोहंथी, निपुन सक्सेना, अंजू थॉमस, अपराजिता जामवाल, संजीव कौशिक, मांतिका हरयानी, श्रेयस अवस्थी, उत्कर्ष प्रताप, प्रतिभा यादव, लिहजू कोणयाक, रिपुल स्वाती कुमारी, लवकेश भम्बानी, अरुणिमा दास, देवादिप्ता दास, अर्चित अदलखा, आदित्य राज पांडे और मेहरीन गर्ग का नाम शामिल हैं.

ममता सरकार के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में बंगाल सरकार आधे से ज्यादा महिला वकील को रखा है. वजह मामले की संवेदनशीलता है. हालांकि, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट से बंगाल सरकार को जबरदस्त फटकार लगी है.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने कह दिया कि 30 साल में रेप केस में पुलिस की ऐसी लापरवाही नहीं देखी है. कोर्ट ने पुलिस की भूमिका और कामकाज पर सवाल उठाए.

मुद्दा डायवर्ट करने में भी विफल ममता बनर्जी

बंगाल राज्य के सियासी गलियारों में कहा जाता है कि ममता बनर्जी किसी भी मुद्दे को आसानी से डायवर्ट कर देती हैं. उनकी यही यूएसपी बंगाल में विपक्ष को पनपने नहीं देती है. ममता ने कोलकाता रेप और हत्या केस के बाद भी इस मुद्दे को डायवर्ट करने की रणनीति अपनाई. हालांकि, अब तक वो इसमें विफल रही हैं.

ममता ने पहले ऐलान किया कि सीबीआई अगर 5 दिन में रेप के दोषी को खोजकर फांसी पर नहीं चढ़ाती है तो उसके खिलाफ खुद धरना पर बैठूंगी. ममता ने सीबीआई जांच के खिलाफ प्रदर्शन भी किया, लेकिन सबूत बदलने का आरोप जो पुलिस पर लगा, उसने उनकी कोशिशों पर मिट्टी पलीत कर दी.

ममता अब बंगाल के मुद्दे को देश का मुद्दा बनाना चाहती है. उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर रेप के दोषियों को 50 दिन में फांसी पर लटकाने के लिए कानून बनाने की मांग की है. कहा जा रहा है कि बंगाल में रेप के खिलाफ लोगों के गुस्से को ममता समझ रही हैं और इसी को शांत करने के लिए नए-नए तरकीब खोज रही हैं.

आंदोलन रोक पाने में विफल ममता

बंगाल में 13 साल में अब तक जितने भी बड़े केस ममता सरकार में आए, उन्होंने आंदोलन को पनपने नहीं दिया, लेकिन इस बार का मामला अलग है. बंगाल में 15 दिनों से कोलकाता रेप और हत्या कांड की गूंज है. विपक्ष समेत आम लोग सड़कों पर हैं.

सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल है, जिसमें कहा जा रहा है कि 26 अगस्त तक ममता बनर्जी अगर इस्तीफा नहीं देती है तो 27 अगस्त को सचिवालय का घेराव किया जाएगा. बंगाल सरकार ने इस प्रदर्शन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई है लेकिन उसे राहत नहीं मिली.

सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आम लोगों को अहिंसक तरीके से प्रदर्शन का अधिकार है. इसे हम नहीं रोक सकते हैं. बंगाल सरकार ने दिशा-निर्देश के लिए हाईकोर्ट का रूख किया है.

पहली बार सीपीएम और बीजेपी साथ में

बंगाल में आमतौर पर वामपंथी CPM और दक्षिणपंथी BJP देश में किसी भी मुद्दे पर एकजुट नहीं होते हैं. वजह दोनों की एकदूसरे की उलट विचारधार है, लेकिन बंगाल में कोलकाता रेप और हत्या केस में सीपीएम और बीजेपी दोनों एकजुट होकर प्रदर्शन कर रही है. ममता ने हाल में दोनों की एकजुटता पर तंज भी कसा था. ममता ने कहा था कि मेरे खिलाफ वाम और राम एक हो गए हैं.

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