टैरिफ वॉर से US शेयर मार्केट में आई तबाही, ट्रंप बोले- थोड़ा दर्द तो सहना पड़ेगा

Trump Tariff Effect: डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। डॉव जोन्स SP 500 और नास्डैक सूचकांकों में भारी नुकसान हुआ। भारत में सेंसेक्स और निफ्टी में 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।

Trump Tariff Effect: अमेरिकी शेयर मार्केट में शुक्रवार को भी लगातार दूसरे दिन भारी तबाही आई। निवेशकों के दो दिन में 5 लाख करोड़ डॉलर डूब गए। शुक्रवार को नैस्डैक में भारी गिरावट आई और यह लाल निशान पर आ गया। डाउ जोन्स 5.5% गिर गया। एस&पी 500 करीब 6% नीचे चला गया। नैस्डैक 5.8% गिरकर ‘बेयर मार्केट’ में चला गया। ‘बेयर मार्केट’ का मतलब है जब बाजार में कीमतें लगातार गिरती रहती हैं। वैश्विक बाजारों पर भी इसका असर पड़ा ब्रिटेन और जर्मनी के बाजारों में भी गिरावट आई।

बेयर्स के चंगुल में अमेरिकी मार्केट ?

एसएंडपी500 (S&P100) की बात करें तो यह 5 अप्रैल को करीब 6 फीसदी गिरकर बंद हुआ है जो मार्च 2020 के बाद से सबसे बड़ी एक-दिनी गिरावट है। इसके सिर्फ 14 शेयर ही ग्रीन हैं। नास्डाक 100 (Nasdaq 100) भी करीब 6 फीसदी टूटकर बेयर्स के चंगुल में फंस गया है। फरवरी के हाई से 20 फीसदी जैसी तेजी गिरावट इससे पहले सिर्फ वर्ष 2020 में कोरोना महामारी और वर्ष 2000 के डॉट कॉम विस्फोट के समय आई थी। एसएंडपी500 के सभी 11 सेक्टर्स में गिरावट आई। एनवीडिया कॉर्प (Nvidia Corp) और एपल इंक करीब 7% गिर गए, जबकि टेस्ला इंक 10% फिसला है।

शेयर बाजारों में भारी गिरावट

डॉव जोन्स सूचकांक में 5.50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, जो इसकी एक बड़ी गिरावट में से एक थी। S&P 500 में करीब 6 प्रतिशत की कमी आई, जबकि नास्डैक ने 5.73 प्रतिशत का नुकसान देखा। बैंकिंग और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा के मुताबिक, “ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद से अमेरिकी बाजारों ने 9 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप खो दिया है।”

वैश्विक बाजारों पर असर

ट्रंप के प्रतिकूल शुल्कों का प्रभाव दुनियाभर के बाजारों पर पड़ा। ब्रिटेन का FTSE 100 इंडेक्स 4.95 प्रतिशत गिरा, जबकि जर्मनी का DAX परफॉर्मेंस इंडेक्स भी 4.95 प्रतिशत नीचे बंद हुआ। भारत के शेयर बाजार भी इस प्रभाव से बच नहीं पाए और सेंसेक्स तथा निफ्टी में गिरावट आई।

ब्याज दरों में कमी की उम्मीद टूटी!

निवेशकों को उम्मीद थी कि फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ब्याज दरों में कटौती का संकेत देकर मदद करेंगे। ट्रंप ने भी सोशल मीडिया पर ऐसा करने के लिए उन पर दबाव डाला था। लेकिन पॉवेल ने विकास और मुद्रास्फीति दोनों के लिए ‘उच्च जोखिम’ पर जोर दिया। इससे निवेशकों की उम्मीदें टूट गईं। फेडरल रिजर्व अमेरिका का केंद्रीय बैंक है।

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