Bollywood: वैलेंटाइन का मौका, शाहिद कपूर और कृति के रोबोटिक इश्क का चौका

Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya Review: शाहिद कपूर और कृति सेनन की फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ लगातार सुर्खियां बटोर रही है. फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इस फिल्म को दर्शकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. इसी बीच हम आपको कुछ खास वजह बता रहे हैं, जिसके चलते आप इस फिल्म को सिनेमाघर में जाकर देख सकते हैं.

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शाहिद कपूर और कृति सेनन की फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ आज रिलीज हो गई है। वैलेंटाइन डे के मौके पर आई ये फिल्म इश्क का एक अलग रंग दिखाती है और एंटरटेन भी करती हैं. मूवी में शाहिद कपूर, कृति सेनन, धर्मेंद्र और डिंपल कपाड़िया लीड रोल में हैं. फिल्म का निर्देशन अमित जोशी और आराधना शाह ने किया है.आइए जानते हैं तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया इन दोनों कलाकारों के लिए क्या चमत्कार करेगी और कैसी है फिल्म. पढ़ें मूवी रिव्यू…  

आजकल प्यार मोहब्बत इश्क के मायने बदल गए हैं. इनकी जगह Situationship ने ले ली है. पहले के जमाने में जिंदगी में दिल एक आध बार टूटता था. आजकल हफ्ते में एक आध बार भी टूट जाता है. ऐसे में ये फिल्म सवाल उठाती है कि क्या रोबोट इंसानों से बेहतर इश्क कर सकते हैं. क्या रोबोट इंसान से ज्यााद भरोसेमंद हैं. वैलेंटाइन डे के मौके पर आई ये फिल्म इश्क का एक अलग रंग दिखाती है और एंटरटेन भी करती हैं.

क्या है फिल्म की कहानी

शाहिद कपूर और कृति सेनन की ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ की कहानी एक रोबोट की है. ये रोबोट कृति सेनन है और शाहिद कपूर को इससे प्यार हो जाता है. फिर शाहिद कपूर अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए इसे अपनी फैमिली के पास लेकर जाता है. वो नहीं जानते कि वो एक रोबोट है. इस तरह कई कन्फ्यूजन होती है और कमजोर वनलाइनर्स के जरिये हंसाने की कोशिश की जाती है. फर्स्ट हाफ जैसे तैसे कट जाता है लेकिन दूसरे हाफ में देखने वाला ही हांफने लग जाता है. कुल मिलाकर कमजोर कहानी के जरिये फिल्म को बढ़ाने की कोशिश की गई. लेकिन यह फिल्म कहीं नहीं जाती है और अंत आते-आते दिमाग की बत्ती बुझा देती है।

कैसी है फिल्म
इस फिल्म की शुरुआत काफी खराब है. फिल्म आपको बोर करती है लेकिन इंटरवल तक आते आते फिल्म असली मुद्दे पर आती है जब एक रोबोट बनी कृति सेनन की शाहिद अपने परिवार से मिलवाते हैं. वहीं से असली कहानी शुरू होती है और सेकेंड हाफ में फिल्म एंटरटेन करती है. सेकेंड हाफ में ही जाकर आपको लगता है कि ये फिल्म देखने लायक है.

फर्स्ट हाफ में कहानी को बिल्ड किया गया है लेकिन उसमें बहुत ज्यादा वक्त ले लिया गया है. उसे छोटा किया जा सकता था. जब कृति शाहिद के परिवार से मिलती हैं तो वो सीन बहुत मजेदार हैं. आपको खूब एंटरटेन करते हैं. फिल्म ये मैसेज भी देती है कि रोबोट इंसानों से बेहतर मोहब्बत करत सकते हैं. क्लाइमैक्स में एक सरप्राइज है और एंडिंग को दिलचस्प बनाने की कोशिश की गई है.

एक्टिंग
शाहिद कपूर का काम अच्छा है. वो स्क्रीन पर अच्छे लगते हैं लेकिन ये सब शाहिद पहले भी कर चुके हैं. इसमें कुछ नया नहीं है. कृति सेनन इस फिल्म की जान हैं. कृति ने रोबोट के किरदार में अच्छा काम किया है. ऐसा कुछ कृति ने पहले नहीं किया…वो जब रोबोटिक एक्सप्रेशन देती हैं तो खूब हंसी आती है.

ये फिल्म एक तरह से कृति के ही इर्द गिर्द घूमती है औऱ कृति ने इस कैरेक्टर को पूरी ईमानदारी से निभाया है. धर्मेंद्र को स्क्रीन पर देखकर अच्छा लगता है लेकिन उनके किरदार को थोड़ा और स्पेस देने की जरूरत थी. इस उम्र में अगर धर्मेंद्र एक्टिंग कर रहे हैं तो उन्हें ठीक से इस्तेमाल किया जाना था. डिंपल कपाड़िया अच्छी लगती हैं और उनका काम भी अच्छा है. बाकी के कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.

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