मप्र: कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर FIR दर्ज, अवैध निर्माण पर भी कार्रवाई
आरिफ मसूद पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप
भोपाल। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद और अन्य के खिलाफ आज गुरुवार को भोपाल के तलैया पुलिस स्टेशन में धारा 153 ए के तहत इकबाल मैदान में उनके द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यह एफआइआर धर्म संस्कृति समिति के पदाधिकारी दीपक रघुवंशी द्वारा की गई शिकायत पर दर्ज की गई।
मसूद ने केंद्र और राज्य सरकारों पर कथित तौर पर ‘हिंदूवादी’ कहते हुए हमला किया था और उन पर फ्रांसीसी सरकार का समर्थन करने का आरोप लगाया था। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति और देश के झंडे का पुतला भी जलाया था।
भोपाल आईजी उपेंद्र जैन ने मीडिया को बताया, ‘कांग्रेस विधायक मसूद और छह अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए के तहत गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है।’
बता दें कि पिछले महीने एक कट्टरपंथी द्वारा फ्रांस में एक शिक्षक की हत्या के बाद शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।
आरिफ मसूद के अवैध निर्माण पर कार्रवाई
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ प्रशासन सख्त है। फ्रांस से उठे कार्टून विवाद के बाद पिछले दिनों राजधानी भोपाल में प्रदर्शन किए मसूद पर एफआइआर तो दर्ज हुई ही, प्रशासन ने खानू गांव स्थित बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्मित बिल्डिंगों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। यहां विधायक मसूद का कॉलेज भी बना हुआ है।
इन निर्माणों के बड़े तालाब के 50 मीटर के दायरे में यानी कैचमेंट एरिया में आने के कारण यह कार्रवाई की जा रही है।
12 हजार स्क्वेयर फीट का अतिक्रमण गिरा दिया गया है, बाकी हिस्से का मामला करीब 10 वर्ष से कोर्ट में लंबित है। 5 जेसीबी के द्वारा यह कार्रवाई की गई है।
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बता दें कि फ्रांस की एक पत्रिका में प्रकाशित कार्टून और उसके बाद हुई हत्या की घटनाओं के बाद भारत में कई जगह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए।
वहीं, कट्टरपंथियों के खिलाफ फ्रांस की कार्रवाई पर भारत से जाने माने शायर मुनव्वर राणा ने तो विवादित टिप्पणी कर दी थी।
धारा 153 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 153 के अनुसार, जो भी कोई अवैध बात करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध हो सकता है;
यदि उपद्रव होता है – यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा,
और यदि उपद्रव नहीं होता है – यदि उपद्रव का अपराध नहीं होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
लागू अपराध
उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना
1. यदि उपद्रव होता है
सजा – एक वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
2. यदि उपद्रव नहीं होता है
सजा-छह महीने कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह समझौता करने योग्य नहीं है।