नारायण मूर्ति का फिर आया बयान… कहा 60 फीसदी भारतीय फ्री के अनाज पर निर्भर

Narayana Murthy on 70 Hours Working Hours: मशहूर टेक कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। हाल ही में उन्होंने लोगों को हफ्ते के 70 घंटे तक काम करने की सलाह दी थी। उनका ये बयान पिछले काफी समय से विवादों में था। वहीं अब नारायण मूर्ति ने अपने बयान पर सफाई पेश की है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि हार्ड वर्क पर्सनल च्वाइस है, इसे कभी नहीं थोपा जाना चाहिए। मूर्ति के मुताबिक लोगों को अपने काम का खुद आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और काम के प्रति समर्पण के महत्व के बारे में सोचना चाहिए ताकि लाइफ में आगे बढ़ सकें।

बहस करने की बजाय खुद से व‍िचार करने की जरूरत: नारायण मूर्ति
नारायण मूर्ति ने कहा इस तरह के मामलों पर हमें बहस करने की बजाय खुद से व‍िचार करने की जरूरत है. मूर्त‍ि ने कहा ‘मैं सुबह 6:30 बजे ऑफिस पहुंच जाता था और रात 8:30 बजे निकलता था. यह पूरी तरह सच है और मैंने ऐसा किया है. इसलिए कोई नहीं कह सकता कि नहीं, यह गलत है.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने 40 साल से भी ज्‍यादा ऐसा किया है.’ यह बात नारायण मूर्त ने एक कार्यक्रम में लेक्चर देने के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर एक सवाल के जवाब में कही. हमें इन बातों पर बहुत चर्चा या बहस करने की जरूरत नहीं है. इन बातों के बारे में खुद सोचना और समझना चाहिए. इसके बाद खुद तय करना चाहिए कि क्या करना है.

एस एन सुब्रह्मण्यन के बयान पर दी प्रतिक्रिया
बता दें कि नारायण मूर्ति के अलावा लार्सन एंड टुब्रो के अध्यक्ष एस एन सुब्रह्मण्यन ने भी हफ्ते में 90 घंटे काम करने की वकालत की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर ने सुझाव दिया था कि सभ्य, मेहनती लोग सभी बाधाओं के खिलाफ खड़े होकर मेहनत करते हैं। नारायण मूर्ति ने कहा कि 60 प्रतिशत भारतीय अभी भी फ्री फूड पर निर्भर हैं। इतनी गरीबी किसी भी देश के लिए अच्छी नहीं है।

60 प्रतिशत भारतीय फ्री के अनाज पर निर्भर
इंफोस‍िस फाउंडर ने कहा ‘यद‍ि मैं मेहनत करूंगा, अच्छे से काम करूंगा, ज्यादा पैसा कमाऊंगा और ज्यादा टैक्स दूंगा, तो ही उस बच्चे का भविष्य अच्छा होगा’. अपने संबोधन में उन्होंने जर्मन वैज्ञानिक मैक्स वेबर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अच्छे इंसान, जो मेहनती होते हैं, महत्वाकांक्षी होते हैं, होशियार होते हैं, अनुशासित होते हैं. वे किसी भी मुश्किल हालात में देश को तरक्की की राह पर ले जा सकते हैं. आज 60 प्रतिशत भारतीय अभी भी हर महीने फ्री के अनाज पर निर्भर हैं. इस बात का ज‍िक्र करते हुए उन्‍होंने कहा क‍ि इतनी गरीबी किसी आर्थिक रूप से मजबूत देश की विशेषता नहीं है.

मूर्ति ने यह भी कहा कि कॉर्पोरेट्स द्वारा लालची व्यवहार के कारण लोगों ने पूंजीवाद में व‍िश्‍वास खो दिया है. कुछ कॉर्पोरेट लीडर की फिजूलखर्ची वाली लाइफस्‍टाइल के बारे में एक सवाल पर मूर्ति ने कहा कि यदि कोई कानून नहीं टूटा या यदि कोई व्यक्ति अपने मेहनत से कमाए हुए पैसे खर्च करने के अधिकार का प्रयोग करता है तो वह किसी को भी सुझाव देने वाला नहीं है.

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