Electoral Bonds Data: इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चन्दा, चुनाव आयोग ने जारी किया डाटा

Electoral Bonds: राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद कर किस कंपनी ने कितना चंदा दिया है, इसका पूरा डेटा सामने आ गया है। चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसकी पूरी लिस्ट ही जारी कर दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत दान करने वाली 50 टॉप कंपनियों में कई गुमनाम हैं। हैरान करने वाली बात है कि इस लिस्ट में पहले नंबर पर देश के लॉटरी किंग कहे जाने वाले सैंटियागो मार्टिन की कंपनी है

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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) को सख्त आदेश देते हुए कहा था कि मंगलवार शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग (EC) को सौंप दिया जाए। एसबीआई ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार शाम चुनाव आयोग को सारा चुनावी बॉन्ड का डेटा सौंप दिया था। जिसके बाद आज चुनाव आयोग ने इस जानकारी को सार्वजनिक कर दिया है।

भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार को जारी सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश का अनुपालन करते हुए मंगलवार को चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का डेटा सौंप दिया। खुद चुनाव आयोग ने इसकी जानकारी दी है।

इन पार्टियों को मिला चंदा –

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़े में जो पार्टियां शामिल हैं उनमें हैं- डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, राजद, आप, एसपी को भी चुनावी बांड के जरिए चंदा मिला है। वहीं इनके अलावा चुनावी बांड के माध्यम से धन प्राप्त करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिव सेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस शामिल हैं।

आइए देखते हैं, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को आर्थिक ताकत देने वाली टॉप 50 कंपनियों में कौन-कौन हैं…

क्रमांकइलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने वाली कंपनी का नामराशि (करोड़ रुपये में)
1.फ्यूचर गेमिंग ऐंड होटल सर्विसेज 1368 करोड़
2.मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड 966 करोड़
3.क्विक सप्लाई चेन410 करोड़
4.वेदांता ग्रुप 402 करोड़
5.हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड377 करोड़
6.भारती एयरटेल ग्रुप 247 करोड़
7.एस्सेल माइनिंग 224 करोड़224 करोड़
8.वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड 220 करोड़
9.जिंदल ग्रुप195.5 करोड़
10.केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड 195 करोड़
11.एमकेजे इंटरप्राइसेस लिमिटेड192.42 करोड़
12.मदनलाल लिमिटेड185.5 करोड़
13.टॉरेंट ग्रुप184 करोड़
14.डीएलएफ ग्रुप170 करोड़
15.यशोदा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल162 करोड़
 
16.उत्कल एल्युमिला इंटरनेशनल लिमिटेड145.3 करोड़
17.बीजी शिरके कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी 117 करोड़
18.धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड115 करोड़
19.अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड112 करोड़
20.बिरला ग्रुप107 करोड़
21.चेन्नै ग्रीन वुड्स प्राइवेट लिमिटेड 105 करोड़
22.रुंगटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड100 करोड़
23.आईएफबी एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड92.3 करोड़
24.रश्मि ग्रुप90.5 करोड़
25.रेड्डी लैबोरेट्रीज लिमिटेड80 करोड़
26.प्रारंभ सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड78.75 करोड़
27.नाटको फार्मा लिमिटेड 69.25 करोड़
28.श्री सिद्धार्थ इन्फ्राटेक ऐंड सर्विसेज61 करोड़
29.एनसीसी लिमिटेड60 करोड़
30.इन्फिना फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड60 करोड़
31.DIVI एस लैबोरेट्रीज55 करोड़
32.यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया एलएलपी 55 करोड़
33.नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी 55 करोड़
34.द रैमको सीमेंट्स54 करोड़
35.मॉडर्न रोड मेकर्स 53 करोड़
36.ऑरोबिंदो फॉर्मा52 करोड़
37.ट्रांसवेज एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड47.5 करोड़
38.ऋत्विक प्रोजेक्ट्स45 करोड़
39.पीसीबीएल लिमिटेड45 करोड़
40.एमएस एस एन मोहंती45 करोड़
41.ससमल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड 44 करोड़
42.शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स40 करोड़
43.SEPC पावर40 करोड़
44.PHL FINIVEST प्राइवेट लिमिटेड40 करोड़
45.लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग सर्विसेड40 करोड़
46.सिपला लिमिटेड39.2 करोड़
47.SWAL कॉरपोरेशन लिमिटेड35 करोड़
48.SAFAL गोयल रियल्टी35 करोड़
49.NEXG डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड35 करोड़
50.लक्ष्मी निवास मित्तल35 करोड़
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इस कंपनी ने सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे
फ्यूचर गेमिंग वही कंपनी है, जिसकी मार्च 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की गई थी. इसने दो अलग-अलग कंपनियों के तहत 1,350 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे. इस फ्यूचर गेमिंग कंपनी को सैंटियागो मार्टिन चलाते हैं, जिन्हें लॉटरी किंग के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि सैंटियागो मार्टिन कभी म्यांमार में मजदूर का काम किया करते थे, मगर आज के वक्त में वह लॉटरी किंग हैं, जिनकी कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने सबसे अधिक रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे.

SC ने चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने का दिया था आदेश-

उल्लेखनीय है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताते हुए खत्म कर दिया था और चुनाव आयोग को चंदादाताओं, उनके द्वारा दिए गए चंदे और चंदा पाने वालों का ब्योरा उजागर करने का निर्देश दिया था। वहीं,आपको यह बता दें कि इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था। जिस आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

बता दे कि सबसे पहले इस विवादास्पद इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था का प्रावधान 2017 के बजट के ज़रिये सामने लाया गया था। तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया था कि इससे हमारा लोकतंत्र मज़बूत होगा, दलों को होने वाली फ़ंडिंग और समुची चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और कालेधन पर अंकुश लगेगा। लेकिन क्या ऐसा हुआ? क्या इन मक़सद में यह कामयाब होता दिखा या फिर इलेक्टोरल बॉन्ड के प्रावधान क्या ऐसे थे?

इलेक्टोरल बॉन्ड आने के बाद इस पर सबसे ज़्यादा सवाल पारदर्शिता और कालेधन को लेकर ही हुआ। एडीआर जैसी इलेक्शन-वाच संस्थाओं और इस विषय के जानकार लोगों ने इस प्रावधान की शुचिता और उपयोगिता पर गंभीर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे।

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