National Girl Child Day: बेटियों के अधिकार व सम्मान को समर्पित..राष्ट्रीय बालिका दिवस

Balika Diwas: मुबारक हो, आपके घर लक्ष्मी आई है..यह लाइन भारत देश की बेटियों के पैदा होने पर कही जानें वाली कहावत है, जहां लड़कियों की देवी लक्ष्मी से तुलना की जाती है और जहां विद्या की देवी सरस्वती जी है।

इमेज क्रेडिट-सोशल मीडिया प्लेटफार्म

राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुवात बालिकाओं को उनके अधिकारो से अवगत कराने और बालिकाओं को सशक्तिकरण करने के लिए, महिला कल्याण और बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2008 में की गई थी। 24जनवरी को इंदिरा गाँधी ने भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। इसलिए राष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए 24जनवरी का दिन चुना गया था।

वहा हमे आज बालिकाओं के सशक्तिकरण और उन्हे समानता का अधिकार दिलाने के लिए भारतीय राष्टीय बालिका दिवस मनाने की जरूरत पड़ रही है। यह आधुनिक भारत की पिछड़ी सोच को दर्शाता है। हालाकि भारत अकेला देश नही है जहा बालिकाएं लैगिंग आधार पर हुई असमानताओ का सामना कर रही है। विश्व में 49% देश ऐसे है जहा बालिकाओं को इस असामनता का सामना करना पड़ रहा है।

ये सिर्फ दिवस नही एक लड़ाई है उन सब बालिकाओं के लिए जो आज भी अपने अधिकारों से वंचित है। हालाकि पिछले कुछ वर्षो में बालिकाओं के साक्षरता दर में वृद्धि पाई गई है पर दुर्भाग्यपूर्ण आज भी बहुत बालिकाएं लैगिंग आधार पे की जा रही असमानताओं को सहन कर रही है। आज भी कन्या भ्रूण हत्याओं के मामले में कड़े कानून होने के बाद भी पूर्णतया रोक नही लग पाई है। महिलाओं के खिलाफ हो रहे है अत्याचारों में वृद्धि हुई है।

ये दिवस हमारे समाज को जागरूक करने के लिए है ताकि वो अपने पीछड़ी सोच को छोड़ के नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सके। हम अपने आस पास, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन कराए जिससे हम अपने समाज को समझा सके की बेटियां आपके उपर कर्ज नही है बल्कि आपका कर्ज उतारने की काबिलियत भी रखती है। अगर आप मौका दे तो आप सभी के घर की बेटियां प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी, आई पी एस किरण बेदी और भारत रत्न लता मंगेशकर जैसी प्रतिभाशाली महिलाए बन कर आपका और आपके परिवार के साथ साथ अपने देश का नाम भी गौरवान्वित कर सकती है।

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