Naxal Attack: लोकसभा चुनाव से पहले नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, सुरक्षा बलों ने ध्वस्त किए मंसूबे
गृह मंत्री अमित शाह तीन वर्ष के भीतर नक्सलियों को पूरी तरह से समाप्त करने के रोडमैप बनाया था जिसका असर तीन महीने में ही दिखने लगा है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में एक मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसक वारदातों को अंजाम देने की साजिश रची थी।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में अब तक की सबसे बड़ी नकस्ली मुठभेड़ हुई है। जिसमें सुरक्षाबलों ने 29 नक्सलियों को ढेर कर दिया। इस ऑपरेशन में कुछ जवान घायल भी हुए हैं जिन्हें रायपुर लाया गया है। रायपुर में घायल जवानों का इलाज चल रहा है। सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि नक्सलियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद डीआरजी और बीएसएफ के जवानों को मिलाकर इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए एक टीम गठित की गई। इसमें अलग-अलग कैंप के चुनिंदा जवानों को शामिल किया गया था। इन जवानों 25 किलोमीटर का सफर टू-व्हीलर से तय किया। हमें लगभग 50 माओवादियों की मौजूदगी के बारे में इनपुट प्राप्त हुए थे। इसी इनपुट पर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।
क्या है गृह मंत्रीअमित शाह का रोडमैप?
रोडमैप के तहत नक्सली गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के नेटवर्क को मजबूत किया गया है, इसकी बदौलत बड़े नक्सली कमांडरों के मूवमेंट की सटीक जानकारी मिली शुरू हो गई है। मंगलवार को तीन कमांडरों समेत 29 नक्सलियों के मारे जाने का श्रेय इसी खुफिया नेटवर्क को जाता है। नक्सलियों के आर्थिक स्त्रोतों की पूरी तरह नाकेबंदी भी शुरू हो गई है, परिणामस्वरूप नक्सलियों तक पैसा पहुंचाना आसान नहीं रह गया है।
8-8 लाख की इनामी महिला नक्सली भी ढेर
कांकेर की नक्सली मुठभेड़ में जिन 29 नक्सलियों को मार गिराया गया। उसमें से एक नक्सली की पहचान 25 लाख के इनामी शंकर राव के रूप में हुई। वहीं 8-8 की इनामी माधवी और ललिता नाम की महिला नक्सलियों का भी खात्मा हो गया। बाकि के नक्सलियों की अभी पहचान की जा रही है. नक्सलियों के शवों के पास से भारी संख्या में हथियार भी बरामद किए गए है। मुठभेड़ मंगलवार दोपहर करीब 12.30 बजे शुरू हुई। यह करीब 4 घंटे तक चली। मौके से 15 महिलाओं समेत 29 नक्सलियों की लाशें बरामद की गई हैं। ऑपरेशन में सुरक्षा बल के तीन जवान भी घायल हुए हैं।
बताया जाता है कि पहली बार सुरक्षा बल के जवानों ने इस दुर्गम इलाके में जंगल के बीच इतने भीतर तक पहुंचकर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस टीम के जवान जब कांकेर जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र के हिदुर और कल्पर गांव के करीब जंगल में पहुंचे तो उन्हें नक्सलियों के होने की हलचल मिली। नक्सली खाना खाकर बैठक करने जा रहे थे। इस पर जवानों ने चुपके से उनकी घेराबंदी कर ली। सूत्र बता रहे हैं कि मुठभेड़ के दौरान घटनास्थल पर करीब 50 नक्सली मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि अपने बड़े कमांडरों को बचाने के चक्कर में इतनी बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए। पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, कांकेर जिले के हिदुर और कल्पर गांव के जंगल में हुई इस मुठभेड़ के बाद अब सन्नाटा पसरा है। ग्रामीण इस घटना को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इस बीच क्षेत्र के अकामेटा गांव के निवासी लिंगाराम ने बताया कि उसका चचेरा भाई सुक्कू मुठभेड़ में मारा गया है।
सुक्कू परिवार के सदस्य लगातार उसे हथियार छोड़ने की अपील कर रहे थे लेकिन वह नहीं माना। परिवार के सदस्यों ने उसकी डेड बॉडी पर अभी तक दावा नहीं किया है। मुठभेड़ स्थल बेचाघाट से 15 किलोमीटर से अधिक दूर कांकेर, नारायणपुर (छत्तीसगढ़) और गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) जिले के ट्राइजक्शन पर स्थित है।