CAA in Supreme Court: CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर SC में आज सुनवाई, क्या CAA पर लगेगी रोक?

Citizenship Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (19 मार्च) को केंद्र द्वारा नागरिकता संशोधन कानून(CAA) के कार्यान्वयन को चुनौती देने वाली 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. याचिकाओं में CAA और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट में आज नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी।

क्या है मांग?
दरअसल, हाल ही में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि, सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद इसे लेकर सवाल उठाए गए। इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून के नियमों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और इसके खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई।

IUML ने CAA को बताया विवादित कानून 

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से सीएए को लागू करने के एक दिन बाद ही केरल में सक्रिय राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने इसे लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, IUML ने मांग की है कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं.

कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता?

आईयूएमएल, तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा शामिल हैं, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटीजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन, और कुछ कानून के छात्र शामिल हैं.

CAA को लेकर क्या है आपत्ति?

  • आईयूएमएल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में सीएए लागू करने की अधिसूचना पर सवाल उठाए गए हैं।
  • आईयूएमएल ने अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है।
  • याचिका में कहा गया है कि साढ़े चार साल तक इसे लागू नहीं किया गया, लेकिन अब इसे अधिसूचित करना इस पर सवाल उठाता है।
  • साथ ही इसमें कहा गया है कि सीएए में धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन करता है।

क्या है CAA?

उल्लेखनीय है कि संसद से पास होने के चार साल बाद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को देश में लागू किया गया था। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थी शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं का क्या तर्क है?

पिछले हफ्ते, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केरल स्थित इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) द्वारा दायर एक याचिका का जिक्र करते हुए कहा था कि विवादास्पद कानून को लागू करने का केंद्र का कदम संदिग्ध था क्योंकि लोकसभा चुनाव बहुत करीब आ रहे हैं.

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