नए प्रकल्प और विकल्प दोनों साथ चलें तभी होता है देश का कायाकल्प: पीएम मोदी

वाराणसी/नई दिल्ली। एक तरफ किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ आज सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजानिक रूप से कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे थे।

स्थान था पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी। पीएम मोदी देव दीपावली के मौके पर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हैं।

विपक्ष पर वार करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई देश के सामने आ रही  है।

नए कानून से किसानों को छल से बचाने का विकल्प मिला है। नए प्रकल्प और विकल्प दोनों साथ-साथ चलें तभी देश का कायाकल्प होता है।

पीएम मोदी ने कहा सरकारें नीतियां बनाती हैं। नीतियों पर सवाल उठता है तो उसका लाभ होता है लेकिन पिछले कुछ समय से अलग ही देखने को मिल रहा है।

पहले सरकार का फैसला लोगों को पसंद नहीं आता था तो विरोध होता था। अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि, भ्रम फैलाकर, आशंकाए फैलाकर प्रचार किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य को लेकर आशंकाएं फैलाई जा रही हैं। जो हुआ ही नहीं है, जो होगा ही नहीं, उसे लेकर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है।

ऐसा ही कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर खेल खेला जा रहा है। यह वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया है।

उन्होंने कहा कहा कि एमएसपी की घोषणाएं बहुत होती थी लेकिन खरीद नहीं होती थी। किसानों के नाम पर कर्ज माफी के पैकेज घोषित किये जाते थे लेकिन छोटे किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी के नाम पर छल किया गया।

उन्होंने कहा किसानों के नाम पर योजनाएं देते थे लेकिन छल होता था। वो खुद मानते थे कि एक रुपये में केवल 15 पैसा ही पहुंचता था।

यूरिया खाद के नाम पर भी छल किया जाता था। किसान के नाम पर किसी और को फायदा पहुंचाया जाता था। यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है। भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए?

प्रधानमंत्री ने कहा अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? अगर किसान को ऐसा कोई खरीददार मिल जाए, जो सीधा खेत से फसल उठाए और बेहतर दाम दे, तो क्या किसान को उसकी उपज बेचने की आजादी मिलनी चाहिए या नहीं?

‘फसल बीमा योजना से हुई 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद’

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सालों में फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाजार, हर स्तर पर काम किया गया है। पीएम फसल बीमा योजना से देश के करीब 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई है।

पीएम कृषि सिंचाई योजना से 47 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आ चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में काशी के सुंदरीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी में जो काम हुआ है, उसका लाभ अब दिख रहा है।

नए हाइवे बनाना हो, पुल-फ्लाई ऑवर बनाना हो, जितना काम बनारस और आस-पास के क्षेत्रों में अब हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि पहले उप्र के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या थी, ये आप भली-भांति जानते हैं। आज उप्र की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के रूप में हो रही है। 3-4 साल पहले यूपी में सिर्फ दो बड़े एयरपोर्ट प्रभावी रूप से काम कर रहे थे।

आज करीब एक दर्जन एयरपोर्ट यूपी में सेवा के लिए तैयार हो रहे हैं। वाराणसी के एयरपोर्ट के विस्तार का काम चल रहा है। जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत लाभ हमारे किसानों को होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा बीते वर्षों में ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं। इसके लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया गया है।

‘पहली बार शुरू हुई किसान रेल’

पीएम ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसान रेल शुरू की गई है। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं, बड़े शहरों तक उनकी पहुंच बढ़ रही है। उनकी आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेंटर बनने के कारण अब यहां के किसानों को अब फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है।

इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में निर्यात हो रही है। सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है।

बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।

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