डिजिटल सोने में निवेश पर दोहरे टैक्स की मार, देना होगा जीएसटी भी

नई दिल्ली। ज्यादा सुरक्षित विकल्प के तौर पर लोग अब डिजिटल सोने में पैसे लगा रहे हैं लेकिन इसमें निवेश भी बाजार के भौतिक सोने की तरह ही कर के दायरे में आता है। अगर आप डिजिटल सोना खरीदते हैं तो कुल मूल्य पर तीन प्रतिशत जीएसटी भी चुकाना पड़ता है।

फोन पे, पेटीएम सहित कई डिजिटल एप सोने में निवेश का विकल्प देते हैं। यहां 100 रुपये से शुरुआत की जा सकती है। क्योंकि डिजिटल सोना बेचने की अनुमति सरकारी कंपनी एमएमटीसी देती है। इसलिए यहां पैसे लगाना पूरी तरह सुरक्षित होता है।

रिटर्न पर बचा सकते हैं टैक्स

आयकर की धारा 54एफ में डिजिटल सोने के मुनाफे को आवासीय संपत्ति में निवेश करें तो पूरी राशि पर टैक्स छूट मिलेगी।

बेचने पर भी दो तरह से कर भुगतान

डिजिटल सोने को बेचने से हुए मुनाफे पर दो तरह से कर लगता है। अगर निवेश के 3 साल के भीतर बेचा जाता है तो सीधे तौर पर टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।

इस बिक्री से हुए मुनाफे को अतिरिक्त आय माना जाएगा और कम अवधि का पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) कार्ड देना पड़ेगा। जो ग्राहक के टैक्स स्लैब के बराबर होगा।

एक लाख के निवेश पर 30 प्रतिशत लाभ हुआ और 10 प्रतिशत आयकर स्लैब में आता है, तो 30 हजार के मुनाफे पर 3 हजार टैक्स लगेगा। 3 साल के बाद इस पर भी कर देना होगा।

कई निवेशकों को लगता है कि भौतिक सोने के अलावा इसे खरीदने के जो भी विकल्प हैं, सब डिजिटल सोना हैं। ऐसा नहीं है, गोल्ड में म्यूचुअल फंड या गोल्ड इक्विटी ट्रेडेड फंड ईटीएफ लिटल सोने से अलग है।

एमएफ या ईटीएफ में निवेश के बाद फंड हाउस को एक्सपेंस रेशियो व अन्य शुल्क देना होगा। यह कुल निवेश का 3 से 4 प्रतिशत तक हो सकता है।

डिजिटल सोने में निवेश के लिए ऐसा कोई शुल्क नहीं लगता। आप चाहे तो इसके रिटर्न को भौतिक सोने के रूप में वापस ले सकते हैं।

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