Farmers Protest: किसानों पर पुलिस ने ड्रोन से दागे आंसू गैस के गोले, 9 गंभीर रूप से घायल

Farmers Protest: हरियाणा प्रदेश की सरकार ने किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच आह्वान के बाद संभावित कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए 14-17 दिसंबर तक अंबाला जिले में मोबाइल इंटरनेट, एसएमएस और डोंगल सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित का आर्डर दिया है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार 14 दिसंबर, सुबह 6:00 बजे से 17 दिसंबर, रात 11:59 बजे तक, ये प्रतिबंध डांगडेहरी, लोहगढ़ और सद्दोपुर सहित कुछ खास गांवों पर लागू होंगे। हरियाणा के अधिकारियों ने एक आधिकारिक आदेश में कहा कि कुछ किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच के आह्वान के मद्देनजर, जिला अंबाला के क्षेत्र में तनाव, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सार्वजनिक शांति बिगाड़ने की आशंका है।

‘पुलिस खुद छोड़कर आएगी’

अंबाला के एसपी ने कहा कि किसान अनुमति लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया। एसपी ने कहा कि अनुमति होने पर पुलिस खुद छोड़कर आएगी। उन्होंने किसानों से कानून का पालन करने की बात कही।

9 किसान गंभीर रूप से घायल हुए

शंभू बॉर्डर पर पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ आगे बढ़ने का प्रयास करते हुए 9 किसान गंभीर रूप से घायल हो गए है। पुलिस 200 मीटर तक पानी की बौछार कर रही प्रयोग है। आंसू गैस के गोले और अन्य प्रकार के गोलों का प्रयोग किया जा रहा है।

दागे गए आंसू गैस के गोले

हरियाणा प्रशासन द्वारा किसानों पर लगातार वाटर कैनन से पानी की बौछारें व आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। फिर भी किसान दिल्ली कूच को लेकर अड़े हुए हैं। ड्रोन द्वारा भी हरियाणा प्रशासन द्वारा गोले छोड़े गए जिससे एक किसान अभी अभी बुरी तरह ज़ख्मी हुआ है।

पंढेर ने कही ये बात

पंढेर ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री भी विरोध के बारे में नहीं बोल रहे हैं और जिस तरह से भाजपा सांसद ‘बयानबाजी’ कर रहे हैं, उससे समुदायों में विभाजन पैदा होने वाला है।सरकारी एजेंसियां ​​यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रही हैं कि ‘मोर्चा’ जीत न पाए। वे यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर पंजाब और हरियाणा के सभी लोग एक साथ आ भी जाएं, तो भी मोर्चा जीत नहीं सकता।

मांगों को के लिए दवाब बना रहे हैं किसान

किसानों के आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से व्यापक भागीदारी देखी गई है। दिल्ली की सीमाओं के पास विरोध स्थल प्रतिरोध के केंद्र बन गए हैं, जहां हजारों किसान खराब मौसम की स्थिति के बावजूद अस्थायी व्यवस्था में डेरा डाले हुए हैं। जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ता जा रहा है, किसान अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए तीव्र प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।

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