Politics: महाराष्ट्र में बड़ी सियासी हलचल, राज ठाकरे ने की अमित शाह से मुलाकात?

Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में बड़ी सियासी हलचल सामने आई है। मनसे चीफ राज ठाकरे की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उनकी एनडीए में एंट्री की चर्चा तेज हो रही है। इस बीच शिंदे गुट के सांसद को डर है कि उनका टिकट कट सकता है.

इमेज क्रेडिट: सोशल मीडिया

Lok Sabha Elections 2024: बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे की एंट्री तय मानी जा रही है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही महायुति के चौथे पार्टनर के तौर पर मनसे का नाम घोषित हो सकता है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे को साथ लेने के पीछे कहा जा रहा है कि इससे बीजेपी उद्धव ठाकरे फैक्टर को काटकर महाविकास अघाड़ी को और कमजोर कर सकेगी,मनसे (MNS) प्रमुख राज ठाकरे अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं. वहीं दूसरी ओर महायुति में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर इस पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिलने शिवसेना के सभी सांसद मुख्यमंत्री के ठाणे स्तिथ निवास स्थान पर पहुंच रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, एनडीए/महायुति में राज ठाकरे के शामिल होने की संभावनाओं को देखते हुए कई सांसदों को इस बात का डर सता रहा है कि लोकसभा चुनाव में उनका पत्ता कट सकता है. वहीं दूसरी तरफ सूत्र यह भी जानकारी दे रहे हैं कई सांसद सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही देरी से नाराज हैं. बता दें कि एकनाथ शिंदे को 13 सांसदों का समर्थन प्राप्त है.

शिंदे सेना को कैसे संभालेगी BJP
उत्तर भारतीयों के साथ अगर राज ठाकरे महायुति में आते हैं तो बीजेपी सहयोगियों को कैसे संभालेगी। इसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर मनसे महायुति का हिस्सा बनती है तो वह शिवसेना के प्रभाव वाली सीटों को ही मांगेगी। उदाहरण के तौर पर मनसे की तरफ से मुंबई दक्षिण और शिरडी की सीट मांगे जाने की बात सामने आई है। इन दोनों सीटों को 2019 में अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। ऐसे में बीजेपी शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से कैसे तालमेल बैठाएगी।

मनसे ने ही खोला था मोर्चा
राज ठाकरे ने 2006 में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की थी। पार्टी को शुरुआत के सालों में उत्तर भारतीयों को मुंबई में निशाना बनाए जाने के कारण प्रसिद्धि भी हासिल हुई थी। पार्टी को 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद के सालों में पार्टी ने बीएमसी में सीटें जीती थी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी और पार्टी का वोट 2.25% रह गया था। ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी राज ठाकरे को शामिल करके उत्तर भारतीयों को साथ की नाराजगी मोल लेना चाहेगी? आशंका जताई जा रही है कि अगर एनडीए में राज ठाकरे की एंट्री होती है तो बिहार में I.N.D.I.A अलायंस की पार्टियों इसे मुद्दा बना सकती है, हालांकि झारखंड के जमशेदपुर में बिहारियों और हिंदी भाषियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला पिछले साल खत्म हो चुका है। 

यदि गठबंधन पर मुहर लगती है तो मनसे को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से चुनाव लड़ने के लिए एक सीट मिल सकती है, जहां उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट का कुछ प्रभाव है। राज ठाकरे ने उद्धव के साथ मतभेदों के कारण अविभाजित शिवसेना से नाता तोड़ लिया था। हालाँकि, उनकी मनसे ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा सकी।

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