Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा से पहले ‘मोदी गैलरी’ में दिखेगी राम मंदिर की झलक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 9 वर्षों की उपलब्धियों को मोदी गैलरी में दिखाया जाएगा। दिल्ली स्थित यह म्यूजियम 16 जनवरी के आसपास आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बाबत जानकारी साझा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली ‘मोदी गैलरी’ को 16 जनवरी के आसपास लोगों के लिए खोले जाने की उम्मीद है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते गुरुवार को यह जानकारी दी. राष्ट्रीय राजधानी में प्रधानमंत्री संग्रहालय के भूतल पर स्थित गैलरी का उद्घाटन अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से कुछ दिन पहले होगा.
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि इस नई गैलरी का काम लगभग पूरा हो गया है. नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, हमें उम्मीद है कि लोग 16 या 17 जनवरी से गैलरी आना शुरू कर सकते हैं. प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के कार्यभार संभालने के बाद से लेकर 2022 के अंत तक की प्रमुख उपलब्धियों को इस गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा.
गैलरी में दिखेगी राम मंदिर की झलक:
नरेंद्र मोदी गैलरी में पीएम मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों को दिखाया जाएगा। साथ ही इस गैलरी में राम मंदिर के निर्माण को भी प्रमुखता से दिखाया जाएगा। मालूम हो, 22 जनवरी 2024 को राम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. इससे पहले मोदी गैलरी में इसका दृश्य देखा जा सकेगा.
देश के प्रधानमंत्रियों को समर्पित है संग्रहालय
राम मंदिर को ‘नरेंद्र मोदी गैलरी’ में प्रमुखता से जगह दी गई है। 271 करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री संग्रहालय में सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित गैलरी हैं। पूर्ववर्ती नेहरू संग्रहालय भवन अब नए संग्रहालय भवन के साथ जुड़ गया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय के ग्राउंड तल पर स्थित पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समर्पित गैलरी के ठीक बाद पीएम मोदी गैलरी है। इसमें पिछले नौ वर्षों में उनकी प्रमुख उपलब्धियों को दिखाया जाएगा।
आपको बता दें कि मोदी गैलरी का कोई औपचारिक उद्घाटन नहीं होगा, क्योंकि यह बड़े पीएम संग्रहालय परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्घाटन अप्रैल 2022 में तत्कालीन नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) परिसर में मोदी ने किया था। तब विपक्ष ने जवाहरलाल नेहरू की विरासत को कमजोर करने के एजेंडे का आरोप लगाते हुए इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।