Mahila Naga Sadhu: कौन होती हैं महिला नागा साधु? कैसी है इनकी रहस्यमयी दुनिया…
Mahila Naga Sadhu: कुंभ की कल्पना तक नागा साधुओं के बिना नहीं की जा सकती है। नागा साधुओं की वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल अलग होती है। पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधू भी होती हैं।
Mahila Naga Sadhu: 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumabh) का आयोजन होने जा रहा है, इस धार्मिक समागम को हर तरह से भव्य बनाने की तैयारियां की जा रही हैं। डेढ़ महीने तक चलने वाले महाकुंभ में गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। महाकुंभ में बड़ी संख्या में साधु-संत संगम में स्नान करने के लिए मीलों दूर से पहुंच रहे हैं। 12 साल बाद होने वाले इस कुंभ मेले में नागा साधु भी पधारेंगे, जिनकी अपनी एक अलौकिक दुनिया होती है।
नागा साधु बेहद ही तपस्वी और मानसिक रूप से बलवान होते हैं। इतिहास कहता है कि 8वीं सदी में शंकराचार्य ने नागा साधुओं को हिंदू धर्म का सैनिक नियुक्त किया था, जिनका उद्देश्य धर्म का प्रचार और बचाव था। नागा साधुओं की वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल अलग होती है। पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधू भी होती हैं। महिला नागा साधू भी अपने जीवन को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं।
कैसे बनती हैं महिला नागा साधु
पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है। पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं। महिलाओं को भी दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है, लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है। लेकिन वह गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है। इस वस्त्र को गंती कहा जाता है।
निभाने पड़ते हैं ये कठिन नियम (Mahila Naga Sadhus)
- आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है।
- सांसारिक सुख-सुविधाओं, परिवार, और व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग।
- ध्यान, योग, और मौन साधना नियमित करनी होती है जिससे मन को कंट्रोल में किया जा सके।
- निर्वस्त्र का अर्थ यहां पर वैराग्य और सांसारिक बंधनों से मुक्ति से है।
कुंभ मेले के दौरान दी जाती है दीक्षा (Mahila Naga Sadhu)
- कुंभ मेले के दौरान ही महिलाओं को नागा साधु होने की दीक्षा दी जाती है।
- जिसके लिए पहले उनका मुंडन किया जाता है और फिर पवित्र नदियों में उनका स्नान करवाया जाता है।
- फिर ये महिलाएं खुद का पिंडदान करती हैं, जिसका अर्थ ये होता है कि उनका उनके परिवार और समाज से रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो गया।
नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में सभी लोगों ने जरूर सुना होगा, लेकिन महिला नागा साधुओं का जीवन सबसे निराला और अलग होता है। गृहस्थ जीवन से दूर हो चुकीं महिला नागा साधुओं की दिन की शुरुआत और अंत दोनों पूजा-पाठ के साथ ही होती है। इनका जीवन कई तरह की कठिनाइयों से भरा होता है। नागा साधुओं को दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है और इनकी हर बात निराली होती है।