Pitampura accident: वक्त पर खुल जाता दरवाजा तो बच जाती जान, इलेक्ट्रॉनिक डोर लॉक बना काल?

Pitampura fire accident: दिल्ली के पीतमपुरा में 18 जनवरी को एक इमारत में आग लगने से 6 लोगों की मौत हो गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि आग लगने के कारण दरवाजे में लगा इलेक्ट्रॉनिक लॉक खराब हो गया था। जिसके कारण लोग घर से बाहर नहीं निकल पाए। इस हादसे में अपने माता-पिता और बहन को खोने वाले साहिल सदमे में हैं।

इमेज क्रेडिट- सोशल मीडिया प्लेटफार्म

शुरुआती जांच में सामने आया कि आग लगने के कारण दरवाजे में लगा इलेक्ट्रॉनिक लॉक खराब हो गया था, इसी वजह से घर से बाहर निकल पाना संभव नहीं हो सका जिसकी कीमत साहिल के माता-पिता और बहन को जान देकर चुकानी पड़ी. साहिल पूरी घटना के चश्मदीद गवाह भी हैं। उन्हें इसका अफसोस है कि आग की घटना का पता होने के बावजूद भी वह परिवार को नहीं बचा पाए।

साहिल ने बताया कि जिस समय घटना घटी, उनके माता-पिता और बहन तीसरी मंजिल पर स्थित अपने फ्लैट में मौजूद थे। जबकि वह किसी से फोन पर बात करने के लिए इमारत की छत पर बनी बालकनी में गए थे। इसी दौरान उन्होंने बिल्डिंग से नीचे की मंजिल से धुआं निकलता देख ,हड़बड़ाते हुए परिवार को देखने नीचे की ओर भागे। लेकिन धुआं इतना था कि सीढ़ियां भी नहीं दिख रही थीं। किसी तरह से जान बचाते हुए फ्लैट के दरवाजे के पास पहुंचे। दरवाजा अंदर से लॉक था ,दरवाजे को खोलने की काफी कोशिश की, लेकिन लॉक होने के कारण अंदर नहीं जा पाए। बाहर खड़े होकर दरवाजे को पीटते रह गए, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला।

इसी बीच सीढ़ियों में तेजी से धुआं बढ़ने लगा। उन्हें आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह अपनी जान बचाकर छत की ओर भागे और घटना की जानकारी दमकल विभाग, पुलिस और पत्नी सिमरन को दी।

वहीं, सुनील अग्रवाल ने बताया कि इस फ्लैट में उनके साले राकेश गुप्ता, अपनी पत्नी रेणू, बेटी श्वेता, बेटा साहिल और बहू सिमरन के साथ रहते थे। साहिल और सिमरन मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं। सिमरन घटना के समय अपने ऑफिस गई हुई थी। इस बीच हादसे की जानकारी मिलने के बाद दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया। धुएं की वजह से साहिल को भी सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। दमकलकर्मियों ने साहिल को सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस ने उन्हें तुरंत पास के अस्पताल में पहुंचाया, जहां उनकी जान बच गई।

मदद के लिए चिल्लाते रहे साहिल

राकेश गुप्ता के पड़ोस में रहने वाली मीनाक्षी ने बताया कि घटना के समय वह अपने घर में मौजूद थीं। तभी उन्हें किसी के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। बाहर आकर देखा तो साहिल छत से मदद के लिए आवाज लगा रहे थे। वह बार-बार चिल्ला रहे थे कि उनके माता-पिता को कैसे भी बचा लो। उसके बाद उन्होंने आस-पड़ोस के लोगों को इकट्ठा करके घर के बाहर लगी गाड़ियों को हटवाया और पानी की बाल्टी लेकर आग बुझाने की कोशिश की।

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