शनिदेव को क्‍यों चढ़ाया जाता है सरसों का तेल? जानिए रोचक वजह

Shani Dev: आपने देखा होगा कि शनिदेव को कई भक्त सरसों का तेल चढ़ाते हैं यहां हम आपको बताने जा रहे हैं शनिदेव पर तेल क्‍यों चढ़ाया जाता हैं।

Shani Dev: शनिवार के दिन सुबह से ही तेल दान मांगने वाले और शनि पर तेल का अभिषेक करने वाले लोग मिल जाएंगे।शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शनिदेव की पीड़ा को दूर करने के लिए शुरू हुई थी।पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी ने शनिदेव की पीड़ा को दूर करने के लिए उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया था, जिससे उन्हें आराम मिला था। तब से शनिदेव को तेल चढ़ाना उनकी कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। 

तेल चढ़ाने का महत्व:
  • शनिदेव को तेल चढ़ाने से उन्हें प्रसन्न किया जाता है, जिससे भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है। 
  • शनिदेव को तेल चढ़ाने से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है, ऐसा भी माना जाता है। 
  • शनिदेव को तेल चढ़ाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और व्यक्ति की स्थिति में सुधार होता है, यह भी एक मान्यता है। 
  • शनिदेव को तेल चढ़ाने से व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है और शनि की कृपा प्राप्त होती है, ऐसा भी कहा जाता है। 

जब हनुमानजी और शनिदेव का हुआ था भयंकर युद्ध

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार शनिदेव को अपनी ताकत और शक्तियों को पर घमंड हो गया था और उन्‍हें लगने लगा था कि पूरे ब्रह्मांड में उनसे ज्‍यादा ताकतवर और कोई नहीं है. वहीं उसी वक्‍त हनुमानजी की ख्‍याति भी उस वक्‍त खूब फैल रही थी। यह देखकर शनिदेव को लगा कि उनसे अधिक ताकतवर कौन दूसरा हो सकता है. शनिदेव ने हनुमानजी को लड़ाई के लिए ललकारा।

जब शनिदेव ने हनुमानजी को ललकारा उस वक्‍त वह अपने प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन थे. उन्‍होंने शनिदेव को युद्ध न करने के लिए लाख समझाया. पर शनिदेव के न मानने पर दोनों के बीच में जमकर युद्ध हुआ. इस युद्ध में जब शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए और उन्‍हें पीड़ा होने लगी तो हनुमानजी ने युद्ध को रोककर उनके घाव पर सरसों का तेल लगाना शुरू किया. इससे उन्‍हें आराम मिलने लगा और धीरे-धीरे शनिदेव का पूरा दर्द गायब हो गया.तब से सरसों का तेल शनिदेव की प्रिय वस्‍तुओं में से एक बन गया। इस पर शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से शनिदेव को तेल चढ़ाएगा उसके जीवन से सारे कष्‍ट और संकट दूर होंगे।

एक प्रचलित कथा ये भी

शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने को लेकर एक कथा और प्रचलित है. इसके अनुसार एक बार लंकापति रावण ने अपने महल में सभी 9 ग्रहों को बंदी बना लिया था. शनि को रावण ने कैद में उल्‍टा लटका रखा था. उधर माता सीता को खोजते हुए जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो रावण ने उन्‍हें वानर कहकर उनकी पूंछ में आग लगवा दी. क्रोधित राम भक्‍त हनुमान ने पूरी लंका में अपनी पूंछ से आग लगा दी.जब लंका जली जो सारे ग्रह कैद से छूट गए, लेकिन शनिदेव उल्टे लटके होने की वजह से वहीं के वहीं रह गए.

आग की वजह से उनका शरीर बुरी तरह झुलस गया था. शनि की यह हालत देख बजरंगबली को उन पर दया आ गई और उन्‍होंने शनिदेव के पूरे शरीर को सरसों के तेल से नहला दिया. तब जाकर शनिदेव को राहत मिली.तब से शदिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है.

 

 

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