Ayodhya: अशोक सिंघल समेत सवा सौ कारसेवकों को शरण देने वाली ‘श्री ओम भारती’ मिला प्राण प्रतिष्ठा निमंत्रण

अयोध्या के श्री ओम भारती को भी 22 जनवरी को में होने वाले राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण मिला है. प्रभु का निमंत्रण पाकर गोलीबारी की चश्मदीद गवाह श्री ओम भारती ने उस समय को याद किया जब उन्होंने कोठारी बंधुओं समेत 1990 में कारसेवकों को भी अपने आवास पर छिपा लिया था.

इमेज क्रेडिट-सोशल मीडिया प्लेटफार्म

Ram Mandir Inauguration: उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार हो रही है. इस बीच साल 1990 से लेकर साल 1992 के दौरान हुए कई वाकये लोगों के सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला श्री ओम भारती याद करती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि साल 1990 में जब कारसेवकों पर फायरिंग हुई तब उन्होंने अपने घर में अशोक सिंघल, कोठारी बंधुओं समेत 125 लोगों को शरण दी थी.

श्री ओम भारती बताती हैं कि वह साल 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर हुई गोलीबारी के प्रत्यक्षदर्शी हैं. कोठारी बंधु, विहिप के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल और लगभग 125 अन्य कारसेवकों ने गोलीबारी से खुद को बचाने के लिए उनके यहां शरण ली. 22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला की  प्राणप्रतिष्ठा समारोह में श्री ओम भारती को भी निमंत्रण मिला है.

उन्होंने कहा कि जब वो लोग शरण में आए तो ताला बंद नहीं था, ऐसे में उन्होंने देख लिया. कई लोग सीढ़ी पर लटके हुए थे. लोग यहां लंबे वक्त टिके रहे थे. कुर्सी के लिए मुलायम सिंह यादव ने जो नाटक किया उसको उन्होंने यज्ञ बना दिया. ये कारसेवकों का श्राप था कि उन्हें कुर्सी नहीं मिलेगी. मुस्लिम वोट के लिए कारसेवकों पर गोलीबारी की गई. 

ओम भारती ने दावा किया कि उस वक्त की सरकार ने चुनाव जीतने के लिए दिखाया कि क्या हो रहा है. कारसेवक उठ नहीं रहे थे. वह प्राण देने को तैयार थे. वह कुछ कर नहीं रहे थे लेकिन फोर्स को आदेश हुआ तब गोली चली. कारसेवकों के पास उस वक्त ईंटा पत्थर नहीं था, ऐसे में छत से ईंटा कैसे आया ये नहीं पता. जब हंगामा हुआ तब फोर्स को छत वाले को खोजना था लेकिन यह सब पहले से तय था कि क्या होना है. भारती ने दावा किया कि ये सब होने के बाद गोलियां चलने लगीं.

अशोक सिंघल यहां 30 तारीख को रुके थे. फोर्स ने मोटे मोटे दरवाजे तोड़ दिए थे. खिड़की तोड़ दिया था. 3 नॉट 3 की गोलियां चलने लगीं थीं.

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