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पाकिस्तान: मुश्किल में इमरान खान, TTP से बातचीत को लेकर नाराज है विपक्ष
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सरकार का आतंकी संगठन टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पकिस्तान) से समझौते के लिए बातचीत करना पीएम इमरान खान पर भारी पड़ रहा है। विपक्ष इस मसले को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ाने में लगा हुआ है।
इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार पीएम इमरान खान की आलोचना कर रहा है। बुधवार को इसी मुद्दे पर इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ी फटकार लगाई थी।
कोर्ट का कहना था कि सरकार उन आतंकियों से बात कर रही है कि जिन्होंने 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में 147 लोगों की बेरहमी से जान ले ली थी। मरने वालों में 132 स्कूली बच्चे थे।
कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा था कि वो ऐसा करके इस घटना में मारे गए बच्चों के परिजनों को किस तरह का संकेत देना चाह रही है। अब इसी मुद्दे को विपक्ष ने सीनेट में भी उठाया है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता और सीनेट के पूर्व चेयरमैंन रजा रब्बानी ने कहा कि सरकार जिस आतंकी संगठन से समझौते के लिए बातचीत कर रही क्या उस बातचीत के लिए सरकार को पार्लियामेंट की मंजूरी मिली है?
उन्होंने इमरान सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, यदि सरकार को इसी तरह से एकतरफा फैसला करना तो बेहतर है कि संसद को ताला लगा दिया जाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कोई भी फैसला बिना सीनेट को भरोसे में लिए और बिना संसद में बातचीत के नहीं लिया जा सकता है।
बता दें कि बुधवार को ही पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि सरकार टीटीपी से समझौते के काफी करीब पहुंच चुकी है। उन्होंने ये भी कहा था कि टीटीपी सीजफायर के लिए राजी हो चुका है।
गौरतलब है कि वर्ष 2007 से ही आतंकी संगठन टीटीपी पाकिस्तान में मौजूद है। टीटीपी ने अब तक पाकिस्तान में कई बड़े हमले किए हैं। पेशावर के आर्मी स्कूल में हमले को भी इसी संगठन के छह आतंकियों ने अंजाम दिया था। इस हमले की पूरी दुनिया में कड़ी निंदा की थी।
आपको बता दें कि मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले पर सरकार ने सभी पार्टियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने सभी पार्टियों को इस मुद्दे पर ब्रीफिंग दी थी लेकिन इस अहम बैठक में खुद पीएम इमरान खान ही मौजूद नहीं थे।
इसको लेकर विपक्ष ने काफी हल्ला मचाया। इतना ही नहीं पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकारों ने भी इमरान खान के रवैये को गलत बताते हुए उनकी कड़ी आलोचना की थी। विपक्ष इमरान खान की गैर मौजूदगी का मुद्दा भी लगातार उठा रहा है।