चीन ने पहली बार स्वीकारी गलवान खूनी संघर्ष में अपने सैनिकों के मरने की बात, नाम भी बताया

बीजिंग/नई दिल्ली। चीन ने पहली बार औपचारिक तौर पर कबूल किया है कि पिछले साल जून महीने में हुए गलवान घाटी के खूनी संघर्ष में उसके भी सैनिक मारे गए थे।  

चीन की पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी ने इस खूनी संघर्ष में मारे गए अपने सैनिकों की संख्‍या का भी ऐलान किया है। चीनी सेना ने दावा किया है कि गलवान घाटी के खूनी संघर्ष में उसके 4 सैनिक मारे गए थे।

हालांकि, चीन के कबूलनामे का यह आंकड़ा काफी कम है, क्योंकि भारत समेत दुनियाभर के कई एजेंसियों ने इसका आंकड़ा काफी अधिक बताया था। बता दें कि गलवान संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे।

भारत ने भी दावा किया था कि चीन के करीब 40 से अधिक सैनिक गलवान संघर्ष में मारे गए थे। हाल ही में रूसी सामाचार एजेंसी TASS ने दावा किया कि 15 जून को गलवान घाटी झड़प में कम से कम 45 चीनी सैनिक भी मारे गए थे।

इससे पहले भी कई रिपोर्ट में ऐसे खुलासे हुए थे मगर चीन ने तब तक आधिकारिक तौर पर अपने सैनिकों के मरने की बात को नहीं कबूली थी।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने काराकोरम पर्वत पर तैनात रहे पांच चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है और सम्मानित भी किया है।

मारे गए चीनी सैनिकों का नामा भी ड्रैगन ने साझा किया है, जो हैं-  पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग ज़ुओरन।

ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए की डेली रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि गलवान खूनी संघर्ष में उसके चार सैनिक मारे गए थे,

वहीं एक की मौत गलवान के खूनी झड़प में रेस्क्यू के वक्त नदी में बहने से हुई थी। चीन ने अपने सैनिकों को लेकर लिखा है कि इन सैनिकों ने राष्‍ट्रीय संप्रभुता और अपनी जमीन की रक्षा करते हुए जान दे दी। भारत और चीन के बीच गलवान संघर्ष 45 साल में सबसे बड़ा खूनी संघर्ष था।

1967 के बाद पहली बार PLA के साथ झड़प में भारतीय सैनिक की मौत

15 जून को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष था, जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे।

इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

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