श्रीलंका पर 56 अरब डालर का विदेशी कर्ज, डिफाल्‍टर घोषित होने की आशंका

srilanka crisis

कोलंबो। पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। देश में लगातार हिंसा और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। देश की बदतर होती हालत के खिलाफ सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं समेत पीएम का घर भी फूंक दिया था।

श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मार देने के आदेश दे दिए गए हैं। श्रीलंका का इस स्थिति से बाहर निकलने का फिलहाल कोई जरिया दिखाई भी नहीं दे रहा है। श्रीलंका के ऊपर 56 अरब डालर का विदेशी कर्ज है।

इसका दस फीसद कर्ज अकेले चीन का ही है। उसके लिए ये रकम इस कदर बड़ी है जिसको उतारने का फिलहाल उसको कोई जरिया भी दिखाई नहीं दे रहा है। श्रीलंका को दो अरब डालर केवल इस कर्ज के ब्‍याज के रूप में चुकाने हैं।

श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी कम

जानकार इस स्थिति के लिए वहां की सरकार को ही दोषी ठहरा रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि इस स्थिति का सबसे बुरा असर वहां की आम जनता पर पड़ रहा है। देश में खाने-पीने के सामान की भारी किल्‍लत है। दवाओं की भी भारी कमी है। जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं।

विदेशी कर्ज को चुकाने के लिए श्रीलंका के पास मुश्किल से ही 50 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार शेष है। ऐसे में इस बात की आशंका काफी अधिक है कि विभिन्‍न वित्‍तीय एजेंसियां श्रीलंका को जुलाई में डिफाल्‍टर घोषित कर दें।

श्रीलंका को कर्ज देने के पीछे मुश्किलें

श्रीलंका के लिए विदेश से कर्ज पाना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है क्‍योंकि वहां राजनीतिक अस्थिरता है। श्रीलंका की गोताबाया और राजपक्षे की सरकार चीन समर्थक रही है। सरकार की इसी नीति ने आज देश को बदहाली की कगार पर पहुंचाया है।

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