इस तारीख को है नाग पंचमी; जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्त्व व विधि

नाग पंचमी का पर्व

सावन मास में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व होता है। इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त, दिन शुक्रवार को है। इस दिन लोग भगवान शंकर के साथ नाग देवता की पूजा-अर्चना करते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति नाग देवता की पूजा करने के साथ ही रुद्राभिषेक करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

आइए जानते हैं नाग पंचमी को क्यों की जाती है नागों की पूजा और इसका महत्व-

नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिया और पिंगल इन 12 देव नागों का स्मरण करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भय तत्काल खत्म होता है।

‘ऊं कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है। कहते हैं कि नाम स्मरण करने से धन लाभ होता है।साल के बारह महीनों, इनमें से एक-एक नाग की पूजा करनी चाहिए।

अगर राहु और केतु आपकी कुंडली में अपनी नीच राशियों- वृश्चिक, वृष, धनु और मिथुन में हैं तो आपको अवश्य ही नाग पंचमी की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि दत्तात्रेय जी के 24 गुरु थे, जिनमें एक नाग देवता भी थे।

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार पंचमी तिथि की शुरुआत 12 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट से होगी, जो 13 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी।

ऐसे में नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 48 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

नाग पंचमी पूजा विधि-

इस दिन गृह-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर अथवा सर्प का चित्र लगाकर सुबह उन्हें जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उन पर घी -गुड़ चढ़ाया जाता है।

शाम को सूर्यास्त होते ही नाग देवता के नाम पर मंदिरों और घर के कोनों में मिट्टी के कच्चे दिए में गाय का दूध रखा जाता है। शाम को भी उनकी आरती और पूजा की जाती है।

इस दिन शिवजी की आराधना करने से कालसर्प दोष, पितृदोष का आसानी से निवारण होता है।भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना गया है।

यह आलेख धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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