काबुल में पसरा सन्नाटा, सड़कों पर तालिबान लड़ाकों को देख घरों में दुबके लोग

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काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफरा-तफरी का माहौल है। चुनिंदा देशों को छोड़कर अमेरिका, भारत और सऊदी अरब समेत अन्य देश या तो अपने दूतावासों को बंद कर लोगों को वहां से निकाल चुके हैं या निकालने का काम जारी है।

रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना युद्धग्रस्त देश से अबतक 3,200 लोगों को निकाल चुकी है। भारत भी अपने दूतावास के अधिकारियों समेत लगभग 500 लोगों को वापस ला चुका है,अभी भी जो भारतीय वहां हैं, उन्हें वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।

महिलाओं को तलिबान का न्योता

तलिबान ने महिलाओं को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्हें इस्लामिक कानून के तहत अधिकार देने के साथ ही काम करने और पढ़ने की अनुमति देने का भरोसा दिलाया है।

तालिबान ने कहा है कि वह किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा।

इसके अलावा विदेशी सेनाओं के लिए काम करने वाले सैनिकों, अनुवादकों और ठेकेदारों के खिलाफ प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करेगा।

तलिबान के कब्जे के बाद राजधानी काबुल में वीरानी छाई हुई है। बाजार में सन्नाटा पसरा है, दुकानें और सरकारी प्रतिष्ठान बंद हैं। सड़कों पर एके-47 और अन्य अत्याधुनिक हथियार लिए तालिबान के लड़ाके पहरा दे रहे हैं।

लोगों को डर है कि पूर्व के शासन काल में जो आजादी और अधिकार उन्हें मिले थे, तालिबान राज में वो सब खत्म हो जाएंगे।

मानवाधिकार के लिए काम करने वालों की चिंता

अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेसलेट के प्रवक्ता रूपर्ट कालविल ने कहा कि हम विशेष रूप से उन हजारों अफगानों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो वहां मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे हैं।

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