
BJP-RLD: फिर बिखरेगा I.N.D.I.A. गठबंधन, अखिलेश यादव को छोड़ NDA गठबंधन में जाएंगे जयंत चौधरी?
I.N.D.I.A. Alliance: विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए को उत्तर प्रदेश में भी झटका लग सकता है। यह झटका उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल की ओर से मिल सकता है। दिल्ली में जयंत चौधरी ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की है। मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर सपा और रालोद के बीच दूरियां बन गई।

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सभी दल अपनी तैयारियों में जुटते हुए नज़र आ रहे हैं। इस बीच एक नए मोड़ में, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ संभावित सीट-बंटवारे का मौका तलाश रही है और इस घटनाक्रम के परिणामस्वरूप एक और बड़ा राजनीतिक समीकरण सिद्ध हो सकता है. यह INDIA गुट के लिए यूपी में बड़ा झटका होगा.
सूत्रों के मुताबिक रालोद ने भाजपा से कैराना, अमरोहा, बागपत, मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट मांगी थी। भाजपा इनमें से कैराना, अमरोहा और बागपत सीट देने के लिए तैयार है। मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट पर पेच फंसा है। एनडीए गठबंधन में मंत्री पद भी मिलने की संभावना है।
इससे पहले बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भी इंडिया ब्लॉक से बाहर हो गई है. अब उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत मिल रहा है. वहीं, जयंत को अपने साथ लाने का ये प्रयास चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक को कमजोर करेगा और भाजपा की चुनावी रणनीति को मजबूत करेगा.
सपा से बनते-बनते यूं बिगड़ी बात
भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया।
#WATCH | On Rashtriya Lok Dal (RLD), Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav says “Jayant Chaudhary is an educated person and he understands politics really well. I am hopeful that he will not let the fight for farmers weaken…” pic.twitter.com/yocNzDIEKJ
— ANI (@ANI) February 7, 2024
दोनों पार्टियों में चल रही बातचीत:
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के लिए आठ संसदीय सीटें आरक्षित करने के समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के पहले के आश्वासन के बावजूद, रालोद और भाजपा दोनों खेमों के प्रमुख लोगों ने आपस में चल रही बातचीत को स्वीकार किया है.
हालांकि सीट-बंटवारे की कोई पुख्ता जानकारी अभी भी बाहर आना बाकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यदि बातचीत सफल होती है तो आरएलडी एनडीए कोटे के तहत पांच सीटें सुरक्षित कर सकती है. भाजपा के साथ RLD का गठबंधन जाट मतदाताओं के बीच समर्थन को मजबूत करेगा.
RLD-BJP एक साथ आई तो होगा फायदा:
चौधरी का भाजपा के साथ हाथ मिलाना रालोद के लिए जाट वोट पाने के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे गठबंधन में मिलने वाली सीटें जीतने की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि समुदाय का झुकाव या तो भाजपा या रालोद की ओर है, जैसा कि पहले चुनाव परिणामों से स्पष्ट भी है. तो अगर दोनों एक साथ लड़े तो जीत काफी हद तक निश्चित मानी जाएगी. ऐसे में इस बात पर जयंत चौधरी ध्यान दे रहे होंगे.
RLD का BJP की ओर झुकाव, बनेगा सिरदर्द:
सपा का एक दृढ़ सहयोगी और इंडिया ब्लॉक का एक प्रमुख सदस्य होने के नाते, आरएलडी का भाजपा की ओर झुकाव मौजूदा गठबंधनों को बाधित कर सकता है और विपक्ष की चुनावी रेस को धीमा कर सकता है. RLD और BJP के बीच सहयोग इंडिया ब्लॉक से बाहर होने का संकेत है और आगामी चुनावों के लिए विपक्ष को नुकसान पहुंचा सकता है.