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उइगरों के नरसंहार के लिए चीन जिम्मेदार, विशेषज्ञों की रिपोर्ट में किया गया दावा
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वाशिंगटन। चीन ने शिनजियांग प्रान्त में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र के समझौते के सभी प्रविधानों का उल्लंघन किया है। विश्व के 50 से अधिक विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
सीएनएन के मुताबिक न्यूलाइंस इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजी एंड पॉलिसी थिंक टैंक ने गत सप्ताह की शुरुआत में यह रिपोर्ट जारी की थी। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि उइगरों के नरसंहार के लिए चीन जिम्मेदार है।
यह पहली बार है जब किसी गैर सरकारी संगठन ने शिनजियांग में हो रहे नरसंहार के आरोपों का न केवल स्वतंत्र विश्लेषण किया है बल्कि यह भी पता लगाने की कोशिश की है कि क्या बीजिंग को इन अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनवेंशन ऑन द प्रिवेंशन एंड पनिशमेंट ऑफ द क्राइम ऑफ जेनोसाइड का मसौदा नौ दिसंबर, 1948 को प्रस्तुत किया गया था।
12 जनवरी, 1951 से यह समझौता सदस्य देशों पर लागू हुआ। इसका उद्देश्य युद्ध या अन्य परिस्थितियों में जनसंहार को रोकना और जनसंहार में शामिल लोगों/समूहों को दंडित कराना है।
पिछले महीने बाइडन प्रशासन ने भी बताया था नरसंहार
रिपोर्ट में उइगर मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर हिरासत शिविरों में भेजने, उनकी धार्मिक गतिविधियों में दखल देने और समुदाय के सदस्यों को सत्तारूढ़ दल के अनुसार ढालने की कड़ी आलोचना की गई है।
पिछले महीने बाइडन प्रशासन ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चीन द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को नरसंहार बताय था।
फरवरी में कनाडा के हाउस ऑफ कामंस ने उइगर अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन की कार्रवाई को नरसंहार बताने वाला एक प्रस्ताव पारित किया था।
नीदरलैंड की संसद ने भी एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि उइगर अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन की कार्रवाई एक नरसंहार है। नीदरलैंड ऐसा कदम उठाने वाला पहला यूरोपीय देश है।
हालांकि बीजिंग की बात करें वह उइगर मुस्लिमों के खिलाफ किसी भी प्रकार के मानवाधिकार हनन की बात से इन्कार करता है।