यूपी BJP में अनुशासनहीनता? 100 से ज्यादा नेता बाहर, कारण सत्ता की धमक या गुटबाजी…

UP BJP News: बीजेपी पार्टी अपनी सख्त अनुशासन नीति के लिए जानी जाती है. लेकिन, पिछले 8 साल में पार्टी ने 100 से अधिक नेताओं को अनुशासनहीनता के चलते बाहर का रास्ता दिखाया है.

इसके बावजूद, नेताओं के विवादित बयान, आपराधिक गतिविधियां और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

हाल ही में एक महीने के भीतर 2 नेताओं को निष्कासित किया गया, जिसके बाद बीजेपी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए नए सिरे से प्रशिक्षण और प्रबोधन कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है. बीजेपी ने पिछले आठ साल (2017 से 2025) में अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं पर सख्त कार्रवाई की है. इनमें स्थानीय स्तर के नेताओं से लेकर बड़े चेहरे तक शामिल हैं.

निष्कासन के कारणों में विवादित बयान, आपराधिक गतिविधियां, पार्टी विरोधी गतिविधियां और संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य शामिल हैं. हाल ही में गोंडा जिले के बीजेपी जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप को एक महिला के साथ आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी से निष्कासित किया गया. यह घटना सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रही और बीजेपी की छवि पर सवाल उठे.

इससे पहले बलिया के बीजेपी नेता बब्बन सिंह रघुवंशी भी बिहार में एक शादी के दौरान डांसर के साथ अश्लीलता करते हुए नजर आ रहे थे. उनको भी पार्टी से निष्कासित किया गया था. पिछले कुछ वर्षों में निष्कासित प्रमुख नेताओं में दयाशंकर सिंह का नाम भी शामिल है, जिन्हें 2016 में बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण पार्टी से बाहर किया गया था. हालांकि, बाद में उनकी वापसी हुई. लेकिन, मामला सुर्खियों में रहा.

इसी तरह, 2019 में विधायक संगीत सोम को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए चेतावनी दी गई थी. कुछ समय के लिए उनकी सक्रियता कम कर दी गई थी. 2022 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में जाने से पहले पार्टी के खिलाफ कई बयान दिए, जिसके बाद उनकी सदस्यता रद की गई थी. स्थानीय स्तर पर भी कई नेताओं को अनुशासन के उल्लंघन के चलते निष्कासित किया गया.

मिसाल के तौर पर, 2020 में बलिया के एक स्थानीय नेता को आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निकाला गया. 2023 में मेरठ के एक नेता को सोशल मीडिया पर पार्टी के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने के लिए निष्कासित किया गया. इसके अलावा, कई नेताओं को चुनाव के दौरान टिकट न मिलने पर बागी रुख अपनाने के कारण बाहर का रास्ता दिखाया गया.

कुलदीप सेंगर जो उन्नाव से विधायक थे, 2018 में बीजेपी से निकाले गए थे. रेप और हत्या के मामले में आरोपित थे. बाद में दोष सिद्ध हुए और उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. श्रीकांत त्यागी 2020 में नोएडा की एक हाउसिंग सोसायटी में हुए विवाद के बाद भारतीय जनता पार्टी से किनारे कर दिए गए थे.

राजनीतिक कारणों से सैकड़ों नेता निकाले जा चुके हैं. चुनाव के दौरान पिछले 8 साल में पूरे प्रदेश में अलग-अलग कारणों से सैकड़ों की संख्या में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी से निकाले जा चुके हैं. हालांकि, इनमें से कुछ को बाद में पार्टी में शामिल भी किया गया.

राजनीतिक विश्लेषण उमाशंकर दुबे का इस बारे में कहना है कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी में सरकार आने के बाद अनुशासनहीनता के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कहीं न कहीं इसके पीछे नेताओं का दम्भ है. सत्ता आने के बाद जो दिमाग में फितूर आ जाता है, उसकी वजह से भी इस तरह के मामले सामने आते हैं. अधिकांश में देखा यही गया है कि कहीं न कहीं दिमाग में सत्ता की धमक होने की वजह से यह सब किया गया.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी इस बारे में स्पष्ट करते हैं कि जो भी अनुशासनहीनता करेगा उसको बख्शा नहीं जाएगा. उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जो भी अनुशासनहीनता कर रहा है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है.

Back to top button