पड़ोसी देश की करतूत, चाइनीज हैकर्स द्वारा हर 4 मिनट में एक साइबर अटैक…
Cyber Attack News: आईआईटी कानपुर के हनीपॉट डेटा के अनुसार भारत में हर चार मिनट में एक चीनी हैकर का हमला हो रहा है। चीन के द्वारा भारत में 40% साइबर हमले हो रहे हैं, जबकि अमेरिका और रूस से क्रमशः 20% और 10% हमले होते हैं।
भारत में हर चार मिनट में एक चीनी हैकर साइबर अटैक कर रहा है। ये हम नहीं बल्कि आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किया गया हनीपॉट नेटवर्क सिस्टम का डेटा (honeypot data) कह रहा है। साइबर हमले (Cyber Attack News) में वे भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय व्यवस्था, तकनीकी उपकरण समेत अन्य जरूरी जानकारी में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका, वियतनाम और रूस से भी साइबर हमले हो रहे हैं पर उनकी संख्या चीन की तुलना में काफी कम है। इसका खुलासा आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) में लगे हनीपॉट के दो महीने के आंकड़ों के विश्लेषण से हुआ है।
हर चार मिनट में एक साइबर अटैक
आईआईटी में स्थापित सी-3 आई हब में तैयार हनीपॉट पर पिछले दो माह के दौरान रोजाना लगभग 900 साइबर हमले हुए हैं। इसमें 40 फीसदी चीन से हो रहे हैं। यूएसए से 20 फीसदी और रूस से 10 फीसदी साइबर अटैक हो रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि हनीपॉट की शुरुआत से ही सबसे अधिक साइबर अटैक (Cyber Attack) चीन के हैकर कर रहे हैं। रोजाना चीन से लगभग 360 साइबर अटैक अर्थात हर घंटे औसतन 15 हैकर हमला कर रहे हैं।
क्या है हनीपॉट नेटवर्क सिस्टम?
हनीपॉट नेटवर्क सिस्टम है, जो यूनिवर्सल डोमेन वेबसाइट क्लाउड पर तैयार किया जाता है। कंप्यूटर साइंस के वैज्ञानिक और एथिकल हैकर इसे इतना आकर्षक बनाते हैं कि हैकर उसमें घुसने को आतुर हो जाते हैं। हैकर के इस पर क्लिक करते ही सिग्नल इसे ट्रैप कर लेता है। इससे हैकर से जुड़ी काफी जानकारी पता चल जाती है। पांच साल पहले प्रो. संदीप शुक्ला की अगुवाई में विशेषज्ञों ने इसे तैयार किया था। हनीपॉट के शुरुआती एक माह में 27 हजार से अधिक साइबर हमले हुए थे।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक साइबर सुरक्षा (Cyber Attack News) को मजबूत करने के लिए रिसर्च कर रही है। सुरक्षा को खतरे भांपने के लिए टीम ने एक हनीपॉट विकसित किया है, जो दुनिया भर के हैकरों को हमले के लिए आकर्षित करता है। इस पर हमलों की कोशिश का डेटा विश्लेषण करके वैज्ञानिकों को हैकरों की करतूतें पता चलती हैं। मसलन किस देश के हैकर्स अधिक हमला कर रहे हैं, वे किस तरह की जानकारी चुराना चाहते हैं, किन खामियों पर अटैक करते हैं आदि। इस विश्लेषण की मदद से वैज्ञानिकों की टीम खामियां समझ कर सुरक्षा के उपाय सुझाती है।