Hit-and-Run Law: नए कानून पर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का चक्का जाम,सड़क पर उतरे चालक, टैक्सी चालकों का भी साथ

Hit-and-Run Law: केंद्र सरकार के हिट एंड रन के कानून के विरोध में सोमवार को नए साल पहले दिन निजी बस संचालकों ने तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की। इस दौरान निजी बस संचालकों ने नए बस स्टैंड पर पहुंच नारेबाजी कर सरकार के खिलाफ रोष जताया।

इमेज क्रेडिट-सोशल मीडिया प्लेटफार्म

साल की पहली सुबह ही बस यात्रियों के लिए बुरी रही। लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में सुबह से बसों की हड़ताल है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन ने चक्काजाम का आह्वान किया। इसके बाद से देशभर में हड़ताल शुरू हो गई है।उनका कहना है कि हड़ताल 3 जनवरी तक जारी रहेगी, मांगें नहीं मानी जाने पर आंदोलन आगे भी जारी रहेगा।

बता दें कि, हिट एंड रन केस के नए प्रावधान को लेकर ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की ओर से लागू नए प्रावधान को लेकर नाराजगी जताई और विरोध में प्रदर्शन भी किया। सरकार से इस प्रस्तावित कानून पर पुनः विचार करने की मांग की गई।

क्या है नया कानून
नए परिवहन कानून को लेकर बस ड्राइवर नाराज नजर आ रहें हैं. दरअसल नए कानून में एक्सीडेंट होने पर ड्राइवर को 10 साल की सजा का प्रावधान दिया गया है.
साथ ही 5 लाख के जुर्माने का भी प्रावधान दिया है.जिससे बस ड्राइवर इस कानून का

नए कानून से क्या बदला?
आपको बता दें कि अभी तक हिट एंड रन मामले में ड्राइवर को थाने से जमानत मिल जाती थी।
इसके अलावा अभी तक इस अपराध में दो साल की सजा का प्रावधान था।
लेकिन नए कानून के मुताबिक अब वाहन चलाने वाले ड्राइवर को अधिकतम 10 साल की सजा के साथ ही 7 लाख का जुर्माना लगाने का प्राविधान किया गया है।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन ने चक्काजाम का आह्वान किया। इसके बाद से देशभर में हड़ताल शुरू हो गई है।

हिट एंड रन कानून पर सरकार करे पुनर्विचार
AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानती, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए।

नए प्रावधान को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन के मामलों में कड़े कदम उठाने की जरूरत जरूर है। इस नए कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

ट्रकों की हड़ताल से जरूरी चीजों के दाम बढ़ेंगे:
इस हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। वहीं, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रुक जाएगी, जिससे लोकल ट्रांसपोर्ट और आम लोगों को आवाजाही में दिक्कत होगी।

भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं। देश में 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं, जो हर दिन जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं। हड़ताल के कारण इतनी बढ़ी संख्या में ट्रकों के रुकने से जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है।

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