उप्र रास चुनाव: सपा ने चल दी चाल, बसपा को लगा झटका

बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के पांच विधायकों ने वापस लिया प्रस्ताव

लखनऊ। अखाड़े में अपने ‘चरखा दांव’ से विरोधियों को पस्त करने वाले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने लगता है बेटे अखिलेश यादव को भी यह दांव सिखा दिया।

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यूपी राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी उतारकर ‘बबुआ’ ने पहले ही ‘बुआ’ की राह में कांटे बिछाये थे।

अब बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के 10 प्रस्तावकों में से 5 प्रस्तावकों के अपना प्रस्ताव वापस लेने से पार्टी को जोरदार झटका लगा है।

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प्रस्ताव वापस लेने वालों में असलम चौधरी भी हैं जिनकी पत्नी ने कल ही समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी।

इसके अलावा प्रस्ताव वापस लेने वालों में असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, गोविंद जाटव शामिल हैं।

यूपी में दस राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है, जिसके लिए कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा की ओर से आठ, समाजवादी पार्टी के एक, बहुजन समाज पार्टी के एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

राज्यसभा चुनाव की जंग सपा ने बिछाए बसपा की राह में कांटे

इससे पहले ऐन मौके पर सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के मैदान में आ जाने से अब राज्यसभा चुनाव की जंग रोचक हो गई थी।

अगर सबके पर्चे सही पाए गए तो 11 प्रत्याशियों में से 10 को चुनने के लिए मतदान होगा। विधायकगण वोट डालेंगे। सपा की इस चाल से चुनाव की नौबत आ गई है।

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इससे बसपा का खेल मुश्किल हो गया है। इससे बड़ी बात यह कि  विधायकों में क्रासवोटिंग के आसार भी अब बनेंगे। भाजपा इस स्थिति से बचना चाहती थी।

इसलिए उसने अपना नौवां प्रत्याशी नहीं उतारा और एक तरह से उसके इस कदम से बसपा की राह भी आसान हो गई थी।

भाजपा-बसपा को विधायकों पर रखनी होगी नज़र

सपा ने भाजपा व बसपा के बीच इस खेल को समझते हुए आनन-फानन में प्रकाश बजाज को निर्दलीय मैदान में उतार दिया।

यह निर्दलीय प्रत्याशी किस दल में कितना सेंध लगा पाएंगे यह तो बाद में जाहिर होगा, लेकिन अब बसपा को अपने विधायक भी संभाल कर रखने होंगे।

भाजपा को भी अपने विधायकों को इधर-उधर जाने से रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरतनी होगी। वैसे अब बदले हालात में सभी दलों के विधायकों की अहमियत बढ़ गई है।

सपा की बढ़ी बेचैनी, तो लगाया एक तीर से दो निशाने

असल में 18 विधायक होने के बाद भी बसपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया और भाजपा ने अपना नौंवा प्रत्याशी नहीं उतारा तो सपा खेमे में बेचैनी बढ़ गई।

भाजपा द्वारा बसपा को इस तरह वाकओवर दे देने से सपा के रणनीतिकारों ने भी बसपा की राह में कांटे बोने की तैयारी शुरू कर दी।

सपा ने निर्दलीय प्रत्याशी पर दांव लगाकर एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। एक तो इससे निर्विरोध चुनाव की संभावना खत्म हो गई और बसपा की जीत भी आसान नहीं रही।

दूसरे भाजपा की इच्छा के विपरीत राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान की स्थिति बन गई। भाजपा के 8 व सपा का एकमात्र प्रत्याशी का जीतना तय है।

सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि बसपा व भाजपा के बीच अंडरस्टैडिंग काफी समय से है और राज्यसभा चुनाव ने इसे सतह पर ला दिया। हम लोग आसानी से जीतने नहीं देंगे।

यह है राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला

राज्यसभा जाने के लिए फार्मूला है। इसके मुताबिक कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है।

यूपी से राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव होना है। इस दस संख्या में 1 जोड़ने से यह संख्या 11 होती है।

अब विधानसभा की कुल सदस्य संख्या वर्तमान में 394 हैं। एक जोड़ने पर यह संख्या 395 हो जाएगी। इसके 11 से विभाजित करने पर 35.90 आता है। इसमें फिर एक जोड़ने पर यह संख्या 36.90 हो जाती है।

विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस तरह छत्तीस वोटों की जरूरत होगी। लेकिन वास्तव में कितने वोट चाहिए इसकी सही संख्या तो मतदान के बाद ही तय होगी। क्योंकि अगर कुछ वोट अवैध हो गए तो जीत का अंक 36 के बजाए कुछ और भी हो सकता है।

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