UP में ये कैसा खेल! विकास का बजट खर्च करने में सुस्त अधिकारी…

उत्तर प्रदेश में सभी विभागों को भर-भरकर बजट मिल रहा है, लेकिन अधिकारी धन आवंटित नहीं होने दे रही है. यही वजह है कि नवम्बर माह आ गया, लेकिन अधिकांश विभाग बजट का 20% हिस्सा भी खर्च नहीं कर पाए हैं. वहीं मंत्री भी इस मामले में खामोश नजर आ रहे हैं.

यूपी सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों ने इस वित्तीय वर्ष में निर्धारित बजट का एक चौथाई भी नहीं खर्च किया है। खासकर सड़क, शहर और स्वास्थ्य विभागों ने बजट खर्च करने में खासा पीछे रहे हैं। इस स्थिति में, प्रदेश सरकार को अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगामी पांच महीनों में 60 प्रतिशत बजट खर्च करना होगा।

बता दें कि अधिकारी विधानसभा से लंबा चौड़ा रिकॉर्ड बजट पास करवाने के लिए अपने विभाग के मंत्रियों को रिपोर्ट तो सौंपते हैं, लेकिन बजट पास होने के बाद अपने विभागों में जन कल्याण और विकास कार्यों के लिए धन आवंटित नहीं होने दे रहे हैं. ये रवैय्या कई सालों से जारी है. इसके बाद भी आज तक किसी भी ACS या प्रमुख सचिव पर कभी कार्रवाई नहीं हुई.

समन्वय का आभाव बनी वजह

आखिर राज्य में योगी सरकार के अधिकारी मंत्री अपने विभागों का आधा भी बजट क्यों नहीं खर्च करा सके? इस सवाल का जवाब योगी सरकार का कोई मंत्री सीधे सीधे नहीं देता. इनका कहना है कि बजट खर्च कराना आला अफसरों का दायित्व है, जिसे सूबे के आला अफसर निभाने में सुस्ती बरत रहे हैं. वहीं सूबे के अफसरों का कहना है कि बजट खर्च करने के लिए समय कम मिला, इस वजह से बजट कम खर्च हुआ. अफसरों के अनुसार आठ माह पहले बजट स्वीकृत हुआ, उसके बाद योजना बनी और निर्माण कार्य से संबंधित संस्थाओं का चयन किया गया. इसमें समय लगा जिसके चलते बजट राशि कम खर्च हो सकी.

आंकड़ों की मानें तो विभागों ने बजट में पास हुई जो राशि खर्च भी की है वो वेतन, भत्ता, मेंटिनेंस, अन्य व्यवस्था चलाने के लिए किया है. न की विकास योजनाओं के लिए. अगर योजनाओं के लिए पैसा खर्च भी किया है तो केवल नाम मात्र ही. पैसा तो विधानसभा से पास हो जाता है, लेकिन हर बार वित्त वर्ष के अंत में सरेंडर कर दिया जाता है.

यूपी में अक्टूबर तक खर्च बजट

MSME : 13 %

आवास: 14%

नगर विकास: 20%

PWD विभाग: 23.5%

सिंचाई विभाग: 24%

ग्राम्य विकास : 26%

इंडस्ट्री विभाग : 33%

स्वास्थ्य विभाग: 36%

कृषि विभाग : 38%

बेसिक शिक्षा : 43%

निर्देश पर नहीं दिखाई मुस्तैदी

यह हाल भी तब है जबकि बीते माह मुख्यमंत्री ने बजट का 50-60 प्रतिशत भी न खर्च कर पाने पर विभागों के आला अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हे फटकार लगाई थी. और विकास योजनाओं में तेजी लाते हुए बजट खर्च करने को कहा था. मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भी राज्य में निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), चिकित्सा, सिंचाई, कृषि, उद्योग, नगर विकास, सूडा, आवास, अल्पसंख्यक कल्याण, नियोजन, वन, पिछड़ा, व्यावसायिक शिक्षा, नमामि गंगे, ग्रामीण जलापूर्ति और समाज कल्याण आदि विभागों के आला अफसर तथा मंत्रियों ने सरकार की मंशा के मुताबिक बजट से कार्य कराने में मुस्तैदी नहीं दिखाई. और अब तो कई विभाग अब अपना पूरा बजट खर्च कर पाने की स्थिति में भी नहीं दिखाई दे रहे हैं.इसके बाद भी 22 फरवरी को योगी सरकार करीब सात लाख करोड़ रुपए का बजट लाने जा रही है.

गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष का कुल बजट 7.82 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जो राज्य के विकास और जनता की भलाई के लिए आवंटित किया गया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करना संभव होगा, खासकर जब कुछ महत्वपूर्ण विभाग अपनी योजनाओं को समय पर लागू करने में विफल हो रहे हैं।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि विभागों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने और बजट का सही तरीके से उपयोग करने के लिए जल्द ही एक्शन लिया जाएगा।

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