
वर्षा वर्मा महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर, हजारों बेटियों की शिक्षा में कर चुकीं हैं मदद

वर्षा वर्मा ने 150 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भी कराया
लखनऊ। राजधानी के गोमतीनगर की रहने वाली वर्षा वर्मा निरंतर महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती आ रहीं हैं।
राष्ट्रीय स्तर की जूडो खिलाड़ी वर्षा वर्मा सामाजिक सेवा के जरिए जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहीं हैं।
वैसे इस समय मिशन शक्ति अभियान के तहत प्रदेश में सरकारी व तमाम गैर सरकारी संस्थाएं मिलकर महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य कर रही हैं।
बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाने की बात हो या फिर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का कार्य, प्रदेश में वृहद अभियान के जरिए महिलाओं के स्वावलंबन, सुरक्षा व सेहत की दृष्टि से कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
इसी क्रम में वर्षा वर्मा साल 2013 से अपनी एनजीओ ‘एक कोशिश ऐसी भी’ के जरिए अब तक वो 7,500 बेटियों की शिक्षा में मदद कर चुकी हैं।
मिशन शक्ति के तहत उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला सुरक्षा, महिला सेहत मुद्दों पर राजधानी में कार्यशाला का आयोजन कर लगभग 1,000 महिलाओं को जागरूक किया है।
वर्षा वर्मा बताती हैं कि अपनी संस्था के जरिए वो गरीब बच्चों की शिक्षा, रोजगार, जरूरमतंद परिवारों को राशन मुहैया कराने का काम करती आ रहीं हैं।
उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति अभियान के चलते जहां महिलाओं व बेटियों को शारीरिक व मानसिक स्तर पर मजबूती मिली है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी उनको बढ़ावा मिल रहा है। इस मुहिम से ग्रामीण व शहरी महिलाओं व बेटियों में आत्मविश्वास की लौ जगी है।
महिलाओं को दिलाया रोजगार
वर्षा ने अपनी संस्था और लोगों की मदद से 20 से 25 महिलाओं को रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है।
उन्होंने बताया कि गरीब और शोषित महिलाओं को रोजगार के साधन मुहैया करा उनको आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। इसके साथ ही लगभग 2500 बेटियों को आत्मरक्षा के गुरों की ट्रेनिंग भी संस्था के जरिए दी है।
150 लावारिस लाशों का कराया अंतिम संस्कार
तीन सालों में 150 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुकीं वर्षा वर्मा ने कोरोना काल में 37 शवों का अंतिम संस्कार कराया है।

उन्होंने बताया कि हम लावारिस लाशों का कंधा बनते हैं। गरीब परिवारों को राशन की सुविधा संग बेसहारा बुजर्गों के इलाज का काम निरंतर मेरी संस्था द्वारा किया जा रहा है।