
इस वर्ष वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का बन रहा है खास संयोग

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से अमावस्या तक उत्तर भारत में और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में इन्हीं तिथियों में दक्षिण भारत में मनाया जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाए बरगद के पेड़ की पूजा करती है। इस बार वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का खास संयोग बन रहा है।
वट सावित्री व्रत पर जहां महिलाएं करवा चौथ की तरह पति की लंबी उम्र के लिए व्रत और पूजा करती हैं, वहीं सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा और धन प्राप्ति के खास उपाय किए जाते हैं। इस बार वट सावित्री व्रत 30 मई को है।
इस बार की सोमवती अमावस्या 2022 की आखिरी सोमवती अमावस्या है। इसके बाद सोमवती अमावस्या अगले साल होगी। वट सावित्री व्रत को उत्तर भारत के उप्र, मप्र, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कई जगहों पर मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि जितनी उम्र बरगद के पेड़ की होती है, सुहागिनें भी बरगद के पेड़ की उम्र के बराबर अपने पति की उम्र मांगती हैं। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।