आगरा में ‘सफेद मार्बल की बेदाग इमारत’ की खूबसूरती देख ताजमहल भूल जाओगे
आगरा आने वाले पर्यटक ताजमहल का दीदार करते है क्योंकि जैसे ही आगरा का नाम आता है तो सामने तस्वीर ताजमहल की बन जाती है. पर्यटकों की पहली पसंद ताजमहल रहता है इसके साथ ही आगरा आने वाले पर्यटक अब एक और सफेद मार्बल की इमारत का दीदार करना पसंद कर रहे है. सफेद मार्बल से बनकर तैयार हुई इमारत बेहद खास नजर आती है.
यह इमारत राधास्वामी संप्रदाय के संस्थापक की नवनिर्मित समाधि है, जो ताजमहल से महज 12 किमी की दूरी पर मौजूद है। इसका निर्माण राजस्थान के मकराना मार्बल से किया गया है। ताजमहल के तर्ज पर ही बनी यह सफेद रंग की इमारत इन दिनों पर्यटकों को खूब आकर्षित कर रही है।
ताजमहल, जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी के कुशल कारीगरों ने किया था, को बनने में 22 सालों का समय लगा था। वहीं स्वामी बाग समाधि का निर्माण करने में 100 सालों से भी ज्यादा का समय लग गया। इस समाधि का निर्माण धर्म व आस्था को बढ़ावा देने वाला बताया जाता है। राधास्वामी मत के अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। बताया जाता है कि वसंत पंचमी के दिन आगरा में सभी एकत्रित होते हैं और इस मौके पर बड़ा भंडारा भी होता है। जिसके लिए पूरे इलाके को सजाया जाता है।
1922 से आज तक निर्माण कार्य जारी
मूल समाध साधारण सफेद बलुआ पत्थर की संरचना थी. 1904 में इलाहाबाद के एक वास्तुकार द्वारा एक नए डिजाइन पर काम शुरू हुआ. कुछ सालों तक काम रुका रहा, लेकिन 1922 से आज तक लोग इस विशाल और शानदार निर्माण कार्य में ज्यादातर हाथ से ही मेहनत कर रहे हैं
कारीगर अपनी पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं. कुछ बुजुर्गों ने अपना पूरा जीवन इस स्थान पर बिताया है, जैसा उनके पहले उनके पिता और दादा ने किया था और जैसा उनके बेटे और पोते अब कर रहे हैं. हालांकि अब कारीगरों के पास मदद के लिए कुछ मशीनें हैं, लेकिन उनका काम हमेशा की तरह ही कठिन मेहनत वाला है.
52 कुआं पर बना है स्वामी बाग
स्वामी बाग के हर पत्थर पर राधास्वामी लिखा हुआ है। 52 कुंओं की नींव पर यह इमारत टिकी हुई है। पत्थरों को 60 फीट गहराई वाले कुंओं में डालकर स्तंभ बनाए गये हैं। समाधि के मुख्य द्वार के सामने भी एक कुआँ है, जिसके पानी को प्रसाद के रुप में ग्रहण किया जाता है। पूरी समाधि में की गयी हर एक नक्काशी को देखकर आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। संगमरमर के जोड़ों को ढंकने के लिए उनपर भी खूबसूरती से बेल-बुटे और फूलों की नक्काशी की गयी है।
कैसी है वास्तुकला
इस इमारत का वास्तुशिल्प डिजाइन किसी विशेष शैली, आधुनिक या पारंपरिक, के अनुरूप नहीं है. इसमें विभिन्न शैलियों को सामंजस्यपूर्ण ढंग से मिश्रित करने का प्रयास किया गया है.
31.4 फुट का सोने से मढ़ा शिखर ताज महल से भी ऊंचा है और इसे विशेष रूप से दिल्ली से बुलाई गई क्रेन द्वारा लगाया गया था. इसमें सालों लग थे क्योंकि वांछित आकार के संगमरमर के पत्थर नहीं मिल सके थे. समाधि के लिए अधिकांश संगमरमर राजस्थान के मकराना और जोधपुर की खदानों से आया है. विभिन्न प्रकार का मोजेक पत्थर पाकिस्तान के नौशेरा का है.
दिन में 4 बार होता है सत्संग
स्वामी बाग में स्वामी जी महाराज और राधा जी की की अस्थियां रखी हैं। जिसके दर्शन करने और मत्था टेकने के लिए लोग आते हैं। स्वामी बाग में दिन में चार बार सत्संग होता है। पहला सत्संग स्वामी बाग के समाध स्थान पर सुबह 6 से 7 बजे। बाबू जी महाराज की कोठी में 8.30 से 9.30 बजे तक। तीसरा शात 5.30 से 6.30 बजे तक और चौथा सत्संग रात 8.15 से 9.15 बजे तक भजन घर में होता है।
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