Air pollution फेफड़े पर ही नहीं पेट पर भी बरपा रहा कहर… देखें क्या कहते हैं अध्ययन?

Air pollution effects on digestion: राष्ट्रीय राजधानी के वातावरण में बढ़ते स्मॉग के कारण सांस लेना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार दूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि यह आपके पाचन तंत्र (Digestive system) पर भी कहर बरपा सकता है?

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर न सिर्फ श्वसन तंत्र पर, बल्कि पाचन तंत्र (Digestion) पर भी हो रहा है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस), इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) और क्रोन डिजीज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रही हैं।

गंभीर स्थिति में दिल्ली का AQI
दिल्ली-एनसीआर में हाल के दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “बहुत खराब” से “गंभीर” श्रेणी में पहुंच चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राजधानी में एक्यूआई 358 के स्तर तक पहुंच गया है। वहीं, बवाना, मुंडका, एनएसआईटी द्वारका और वजीरपुर जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई 400 से ऊपर है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।

पाचन तंत्र पर प्रदूषण का असर
वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक तत्व जब सांस के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे न केवल श्वसन तंत्र बल्कि पाचन तंत्र (Digestion) को भी प्रभावित कर सकते हैं। एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे के अनुसार, “लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ता है और फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ जाती है, जिससे इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं। इसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है, जिससे सूजन और कैंसरकारी परिवर्तन हो सकते हैं।”

सिस्टमिक इंफ्लेमेशन और पाचन समस्याएं
प्रदूषण के कारण शरीर में सिस्टमिक इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न होता है। ये कारक आंतों के माइक्रोबायोम को प्रभावित करते हैं और पाचन (Digestion) तंत्र में समस्याएं उत्पन्न करते हैं। वे कहते हैं, “प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले कण और गैसें शरीर में जाकर पाचन स्वास्थ्य को बिगाड़ती हैं।”

बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष प्रभाव
वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों और बुजुर्गों पर होता है। बच्चों में पाचन (Digestion) तंत्र और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता, जिससे वे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। दूसरी ओर, बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, और अक्सर वे पहले से पेट संबंधी समस्याओं से ग्रस्त होते हैं।

क्या कहते हैं अध्ययन?
कई अध्ययनों ने यह साबित किया है कि वायु प्रदूषण से सूक्ष्म धूल कण (PM) और जहरीले रसायन पाचन (Digestion) तंत्र में प्रवेश कर सकते हैं और आंत के माइक्रोबायोटा का संतुलन बिगाड़ सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में आईबीएस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और अन्य पाचन समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों से बचने के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं:
* मास्क का उपयोग करें: एन-95 या बेहतर गुणवत्ता वाले मास्क पहनकर प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचें।
* स्वास्थ्यवर्धक आहार लें: शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन्स से भरपूर आहार लें।
* भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचें: अत्यधिक प्रदूषण वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
* घर के अंदर रहें: जब तक अत्यावश्यक न हो, बाहर जाने से बचें, खासकर सुबह और शाम के समय।

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