
पाकिस्तान पर कूटनीतिक हमला…भारतीय संसदीय दल के विदेश दौरे की कहानी?
Diplomatic offensive against pakistan: भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन को उजागर करने के लिए बड़ा कूटनीतिक अभियान शुरू किया है. 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 30 देशों का दौरा करेगा.
Diplomatic offensive against pakistan: इस अभियान में विपक्षी दलों को साथ लाने और राजनीतिक संतुलन बनाने की रणनीति भी शामिल है. प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद शामिल हैं, जो पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को वैश्विक स्तर पर उजागर करेंगे और भारत की स्थिति को मज़बूत करेंगे.
पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए घेरने की भारत की मुहिम अब विदेशी सरजमीं तक पहुंच चुकी है. पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कूटनीतिक हमला शुरू किया है. मगर, इस हमले की रणनीति सिर्फ सरहद पार नहीं, बल्कि देश के भीतर राजनीतिक संतुलन साधने की भी कहानी कहती है. आइए जानते हैं 59 सदस्यीय 7 संसदीय दल की 30 देशों के दौरे के पीछे की राजनीति क्या है.
भारत का 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 30 देशों में जाकर पाकिस्तान को बेनकाब करेगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये भारत का सबसे बड़ा डिप्लोमैटिक हमला माना जा रहा है. इस डेलीगेशन का गठन सिर्फ कूटनीतिक नहीं, गंभीर राजनीतिक गणित का हिस्सा भी है. बिहार से सबसे ज्यादा 6 सांसद शामिल हैं. 7 में से दो टीमों की कमान बिहार के ही सांसदों के पास है. साथ ही 6 सांसदों को टीम में रखा गया है.
संदेश साफ बिहार खास
रविशंकर प्रसाद और जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा दो प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. वही, शांभवी चौधरी एलजेपी सांसद, मनन मिश्रा बीजेपी के राज्यसभा सांसद, राजीव प्रताप रूडी और आरजेडी के प्रेम चंद्र गुप्ता को प्रतिनिधिमंडल में रखा गया है. यानी संदेश साफ है कि बिहार खास है.
विपक्ष को संदेश
सात डेलीगेशन में से सिर्फ एक की अगुवाई बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद कर रहे हैं. एक टीम की कमान है बैजयंत पांडा के पास, जो पहले बीजेडी में थे. बाकी तीन टीमों का नेतृत्व विपक्ष के पास है और दो सहयोगी दलों के पास
विपक्ष को साधने की रणनीति
विपक्षी दलों को साधने की रणनीति भी साफ दिखती है. डीएमके जैसे विपक्ष के सहयोगी दलों को जगह दी गई है, जबकि कांग्रेस को भीतर से बांटने की कोशिश की गई है. सलमान खुर्शीद, शशि थरूर, आनंद शर्मा को तो जगह मिली लेकिन थरूर के अलावा किसी को डेलीगेशन की अगुवाई नहीं दी गई.