
Banu Mushtaq ने बुकर प्राइज जीतकर रचा इतिहास, ये सम्मान जीतने वाली पहली कन्नड़ किताब
Who is Banu Mushtaq: मशहूर कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को उनकी लघु कहानी ‘हार्ट लैंप’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी यह किताब यह सम्मान जीतने वाली पहली कन्नड़ पुस्तक है।
Banu Mushtaq: भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। बानू मुश्ताक कर्नाटक की हैं। बानू मुश्ताक को उनकी कन्नड़ कहानी संग्रह हार्ट लैंप के लिए साल 2025 का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज मिला है। यह पहली बार है, जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी किताब को बुकर प्राइज मिला है। उन्होंने ये किताब जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा भष्ठी ने इस किताब का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
कर्नाटक की मशहूर लेखिका बानू मुश्ताक
कर्नाटक की मशहूर कन्नड़ लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता 77 वर्षीय बानू मुश्ताक अपने महिला केंद्रित साहित्य के लिए जानी जाती हैं। हार्ट लैंप के पहले भी उनकी कई रचनाएं प्रकाशित हुई है। इतना ही नहीं वह कई बार कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भी रह चुकी हैं। बानू को लेखिका के अलावा महिला अधिकारों की वकालत करने और भेदभाव पर सवाल उठाने के उनके कानूनी काम के लिए भी जाना जाता है।
अपनी कहानियों को लेकर मुश्ताक का कहना है कि उनकी रचना दर्शाती हैं कि कैसे धर्म, समाज और राजनीति महिलाओं से बिना सवाल किए आज्ञाकारिता की मांग कर दी है। वह इतने पर ही नहीं रुकतीं इतना करने के बाद भी वह महिलाओं के ऊपर क्रूरता दिखाती हैं।
क्या है हार्ट लैंप में
हार्ट लैंप में 12 कहानियां हैं। ये कहानियां 1990 से 2023 के बीच लिखी गईं। ये पितृसत्तात्मक दक्षिण भारतीय समुदायों में रहने वाली आम महिलाओं की हिम्मत, प्रतिरोध, हास्य और बहनचारे की कहानियां हैं। ये कहानियां कन्नड़ संस्कृति की मौखिक परंपराओं से प्रेरित हैं।
2022 के बाद यह दूसरा भारतीय पुरस्कार है। उस साल गीतांजलि श्री और डेज़ी रॉकवेल को टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास था। पेरुमल मुरुगन का तमिल उपन्यास पायरे 2023 में लंबी सूची में था।