
Bhool Chuk Maaf थिएटर में हुई रिलीज, जानें कैसी है राजकुमार राव-वामिका गब्बी की फिल्म
Bhool Chuk Maaf Review: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की फिल्म ‘भूल चूक माफ’ ने आज थिएटर्स में दस्तक दे दी है. रिलीज को लेकर पहले ओटीटी या थिएटर को लेकर कंफ्यूजन था, लेकिन अब क्लियर हो चुका है।
Bhool Chuk Maaf Review: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की फिल्म ‘भूल चूक माफ’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म का लोगों को बेसब्री से इंतजार था, जो अब पूरा हो चुका है। हालांकि, फिल्म को लोगों का मिला-जुला रिस्पॉन्स मिल रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि फिल्म बोर कर रही है, तो कुछ का कहना है कि फिल्म फुल कॉमेडी एंटरटेनिंग है। इन सबके बीच फिल्म में एक खास मैसेज है, जिसके लिए ये फिल्म देखी जा सकती है?
क्या है फिल्म की कहानी?
रंजन और तितली एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. लेकिन तितली का परिवार इस शादी के लिए मान नहीं रहा. खासकर, उसके पिता और जीजा. रंजन के सामने तितली का पिता शर्त रखता है कि अगर शादी करनी है, तो उसे दो महीने के भीतर सरकारी नौकरी ढूंढ़नी होगी. तभी रंजन, तितली का दूल्हा बन पाएगा. रंजन इस शर्त को स्वीकार करता है और जुगाड़ लगाकर नौकरी भी ढूंढ लेता है.
अब रंजन और तितली अपनी शादी को लेकर बहुत खुश हैं. इस बीच एक ऐसी घटना घटती है, जिसके बारे में रंजन ने कभी नहीं सोचा होगा. वह टाइम लूप में फंस जाता है. उसकी जिंदगी की सुई 29 तारीख पर अटक जाती है. वह जब भी सोकर उठता है, तो घर पर हल्दी रस्म की तैयारियां चल रही होती हैं. अगले दिन यानी 30 को शादी है, लेकिन वो दिन आ ही नहीं रहा है. इसके बाद कहानी में बड़ा मोड़ आता है. क्या रंजन और तितली की शादी हो पाती है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर में फिल्म देखनी पड़ेगी.
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राजकुमार राव की एक्टिंग ने बिखेरा जलवा
राजकुमार राव ने रंजन के रोल में फिर से साबित किया कि वो ‘कॉमन मैन’ के रूप में बेस्ट परफॉर्मर हैं. वामिका गब्बी पहली बार कॉमिक स्पेस में नजर आईं और पूरी तरह फिट बैठीं. सीमा पाहवा, संजय मिश्रा और रघुबीर यादव जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी सादगी से किरदारों को जीवन दे दिया.
बनारस की खुशबू और म्यूजिक की मिठास
फिल्म का म्यूजिक कहानी में पूरी तरह से मिला हुआ है. ‘टिंग लिंग सजना’ और ‘चोर बाज़ारी फिर से’ जैसे गाने ना सिर्फ सुनने में अच्छे लगते हैं, बल्कि फिल्म के मूड और बनारसी रंगत को और गहरा करते हैं. करण शर्मा का निर्देशन भी उतना ही सहज है, न ज्यादा लाउड, न ज्यादा भावुक बल्कि एकदम बैलेंस्ड है.
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