
अमेरिका की दोगली भूमिका! आतंकवाद का विरोध… फिर क्यों पाकिस्तान का सपोर्ट?
Pakistan–America relations: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने 60 से ज्यादा देशों के राजदूतों को हमले को लेकर जानकारी दी थी और हमले के पीछे पाकिस्तान को मास्टरमाइंड बताया है।
Pakistan–America relations: भारत द्वारा दी गयी जानकारी की बैठक में चीन भी मौजूद था, फिर भी उसने पाकिस्तान का साथ दिया है, जो हैरान करने वाला नहीं है। लेकिन अमेरिका का रूख काफी हैरान करता है। दक्षिण एशिया में तनावपूर्ण वातावरण के बीच पाकिस्तान को जहां चीन और तुर्की से मदद मिलना शुरू हो गया है.
वहीं अमेरिका, स्ट्रैटजिक पार्टनर होने के बाद भी भारत के साथ खुलकर खड़ा होने से हिचकिचा रहा है। अमेरिका के अधिकारी बार बार भारत के साथ होने की बात कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान का नाम लेने से परहेज कर रहे हैं। एफबीआई चीफ काश पटेल और इंटेलिजेंस एजेंसी की प्रमुख तुलसी गबार्ट ने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ का जिक्र किया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन खुलकर पाकिस्तान का नाम क्यों नहीं ले रहा था, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग ने इस बात की पुष्टि की थी कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों के संपर्क में है। इसके अलावा विदेश विभाग ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण हालात को देखते हुए “जिम्मेदार समाधान” की दिशा में काम करने का आग्रह किया है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि अमेरिका ने अभी भी पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश नहीं की है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने आगे कहा था कि, “कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पूरी तरह से अवैध और अस्वीकार्य है. दुनिया ने इस तरह की हिंसा को नकार है. हम पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं.”
हालांकि अमेरिकी सरकार ने सार्वजनिक रूप से भारत के लिए समर्थन जताया है, लेकिन उसने हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराने से परहेज किया है। जबकि ये देखा जा रहा है कि चीन ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन कर दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका, चीन पर पूरी तरह से भरोसा करने लायक है?
पाकिस्तान के समर्थन के बाद भी IMF से लोन
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने एक बड़ा फैसला लिया था। आईएमएफ ने पाकिस्तान को लगभग एक अरब अमरीकी डालर तत्काल जारी करने को मंजूरी दे दी थी।
भारत ने कहा कि पाकिस्तान इस फंड का यूज सीमा पार आतंकवाद के लिए कर सकता है। भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को लगातार पुरस्कृत करने से वैश्विक समुदाय को एक खतरनाक संदेश जाता है। इससे फंडिंग करने वाली एजेंसियों और दाताओं की प्रतिष्ठा भी जोखिम में पड़ती है तथा वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ता है। सवाल उठता है कि आईएमएफ के पास कहां से पैसा आता है?
पाकिस्तान को लोन पे लोन..
अमेरिका के दबदबे वाला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पाकिस्तान पर मेहरबान है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) प्रोग्राम के तहत 1.02 अरब डॉलर (करीब 8,712 करोड़ रुपये) की दूसरी किस्त जारी कर दी है। यह पैसा ऐसे समय पर मिला है जब आईएमएफ पाकिस्तान के आगामी बजट पर ऑनलाइन बातचीत कर रहा था। भारत के साथ तनाव के कारण आईएमएफ के मिशन प्रमुख का इस्लामाबाद दौरा कुछ दिनों के लिए टल गया था।
पाकिस्तान का नाम लेने से हिचकता अमेरिका?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने रॉयटर्स को ईमेल के जरिए दिए गए बयान में बताया है कि “यह एक उभरती हुई स्थिति है और हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम कई स्तरों पर भारत और पाकिस्तान की सरकारों के संपर्क में हैं।” विदेश विभाग के प्रवक्ता ने आगे कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका सभी पक्षों को एक जिम्मेदार समाधान की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।” अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की तरफ से अपनाए गए रुख को दोहराते हुए कहा, कि वाशिंगटन “भारत के साथ खड़ा है और पहलगाम में आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है।” लेकिन हैरानी की बात ये है कि इनके बयान में पाकिस्तान का नाम कहीं नहीं है।