पुण्यतिथि पर विशेष: यूं ही नहीं बनता कोई एपीजे अब्दुल कलाम

Dr APJ Abdul Kalam

नई दिल्ली। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक, भारत रत्न ‘मिसाइलमैन’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज छठी पुण्यतिथि है। युवाओं के प्रेरणा स्रोत, भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।

एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और विचारक थे। इनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को देहांत हो गया था।

उन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में ‘मिसाइलमैन’ के रूप में जाना जाता है। उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया था।

इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की जिम्मेदारी संभाली थी।

भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी वह शामिल रहे थे। एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। अब्दुल कलाम पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

उनके पिता एक नौका चालक थे, जो हिंदू तीर्थयात्रियों को लाने जाने का काम करते थे। उनकी मां एक गृहिणी थीं। एपीजे अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलांग में हुआ था।

एपीजे अब्दुल कलाम ने 1998 के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। वैज्ञानिकों की पूरी टीम को उन्होंने लीड किया था।

भारत की मिसाइल परियोजनाओं के विकास में कलाम के योगदान के लिए उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है। अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास और संचालन का श्रेय उन्हें ही जाता है।

इंडिया 2020, विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ जैसी लगभग 25 किताबें एपीजे अब्दुल कलाम अपने जीवन में लिखी हैं।

एपीजे अब्दुल कलाम ने 2002-07 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। अब्दुल कलाम भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो कुंवारे और शाकाहारी थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि एपीजे अब्दुल कलाम ने देश-विदेश के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।

एपीजे अब्दुल कलाम को प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार-पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार-भारत रत्न (1997) से सम्मानित किया जा चुका है। अब्दुल कलाम भारत रत्न से सम्मानित होने वाले तीसरे राष्ट्रपति थे।

एपीजे अब्दुल कलाम 1992 से 1999 यानी 7 सालों तक पीएम के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव रहे थे।

एपीजे अब्दुल कलाम की बॉयोग्राफी ‘विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी’ पहली बार अंग्रेजी में छपी थी। बाद फ्रेंच और चीनी सहित 13 भाषाओं में इस किताब का अनुवाद किया गया था। एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन और उनके किए कामों पर छह आत्मकथाएं हैं।

एपीजे अब्दुल कलाम के घर में कभी टेलीविजन नहीं था। वह हमेशा रेडियो सुनते थे। उन्होंने इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू में किया था।

जब अब्दुल कलाम 10 साल के थे, तो वह तमिलनाडु में अपने गृहनगर रामेश्वरम में अखबार बेचा करते थे। डॉ कलाम धर्म से मुसलमान थे लेकिन वह दिल से एक धर्मनिरपेक्षतावादी थे। उनका मानना था कि मानवता अन्य सभी धर्मों से ऊपर है।

अब्दुल कलाम ने 1963 में नासा गए थे। जिसके बाद उन्होंने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) और SLV-III प्रोजेक्ट डेवलप किए थे। ये दोनों सैटेलाइट सफल साबित हुए थे।

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