प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी से गर्माया बिहार की राजनीति… PK को मिली सियासी धार
Prashant Kishor Arrested: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पी के के गरफ्तारी से बिहार की सियासत में गरमाहट आ गया है। अब तक राजनीति की गुर सिखाने वाले प्रशांत किशोर की राजनीति जो असफलता की राह पकड़ ली थी, आज नीतीश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर सूद समेत राजनीति की बागडोर थमा दी।
प्रशांत किशोर को पुलिस ने जड़ा थप्पड़
बता दें कि प्रशांत किशोर 2 जनवरी से भूख हड़ताल पर हैं. पटना पुलिस ने सोमवार सुबह 4 बजे गांधी मैदान पहुंचकर उन्हें वहां से जबरन हटाया है. इस दौरान पुलिस को भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा है. वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि एक पुलिस वाले ने प्रशांत किशोर को थप्पड़ भी जड़ा है. उसके बाद जबरन धरनास्थल से उठाकर एंबुलेंस में बैठाया.
#PrashantKishor_BPSCProtest
— Live New India (@livenewindia01) January 6, 2025
बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर गिरफ्तार.
पटना पुलिस ने सुबह 4 बजे धरनास्थल से जबरन उठाकर हिरासत में ले लिया. PK समर्थको का आरोप है कि पुलिस ने प्रशांत… pic.twitter.com/8hUmSkzM4d
BPSC के समर्थन में अनशन पर बैठे थे प्रशांत
बता दें कि प्रशांत किशोर बीपीएससी अभ्यर्थियों के पक्ष में आवाज बुलंद कर रहे थे. पिछले 5 दिनों से वे बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे. आधी रात के बाद करीब 4 बजे सुबह प्रशांत किशोर को हिरासत में लेने के लिए पटना पुलिस की टीम गांधी मैदान पहुंची और उनको जबरन अपने साथ ले गई. जानकारी के मुताबिक लगभग 10 थानों की पुलिस गांधी मैदान पहुंची थी.
दिसंबर में शुरू हुआ था बवाल
बीपीएससी 70वीं पीटी परीक्षा का विरोध प्रदर्शन 6 दिसंबर 2024 से शुरू हुआ था. बीपीएससी परीक्षा के जरिए उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सहित राज्य सेवाओं में कई पदों पर योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए आयोजित की जाती है. बीपीएससी परीक्षा डेट से 1 हफ्ते पहले से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पटना में बीपीएससी कार्यालय के बाहर स्कोरिंग पैटर्न को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे थे. अधिकतर परीक्षार्थी नॉर्मलाइजेशन के विरोध में थे.
काम आई पीके की दृढ़ता
दरअसल, पीके ने जो राजनीतिक शाख खोई उसके लिए आमरण अनशन पर बने रहना उनकी राजनीतिक इच्छा की पूर्ति के लिए जरूरत भी बन गया था। और आमरण अनशन पर डटे रहना राजनीति पावर रीगेन के लिए अति आवश्यक था। अब राजनीतिक अविश्वसनीय के स्वर से विश्वसनीयता का सफर तो तय करना था। यह आमरण अनशन पर डटे रहने से संभव होता दिखने लगा था। और गिरफ्तारी तो उनके अभियान की सौ फीसदी सफलता की मुहर लेकर आने वाला साबित हुआ। अब यह तो आगामी बिहार विधानसभा में साबित होगा कि छात्र और युवा का साथ किस कदर जनसुराज को साथ मिलेगा।
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