‘विशेष राज्य’ से नहीं ‘विशेष पैकेज’ से सुधरेगी बिहार, नीतीश ने कहा धीरे-धीरे सब जान जाइएगा
Bihar Special Status: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के नाम अपना सातवां बजट पेश किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बिहार के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। बिहार को स्पेशल स्टेट्स दर्जे की मांग के बीच सरकार के ऐलान काफी महत्वपूर्ण हैं। इस बीच बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वाली सियासत ने एक बार फिर ज़ोर पकड़ लिया है.
आपको बता दें कि बजट सत्र के पहले दिन ही वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित जवाब में कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य स्पेशल स्टेटस के क्राइटेरिया में बिहार में फिट नहीं है। गौरतलब हो कि बीजेपी की सहयोगी JDU और चिराग पासवान की पार्टी की ओर से ये मुद्दा उठाया गया.
धीरे-धीरे सब जान जाइएगा: सीएम नीतीश कुमार
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर संसद में मनाही के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- “धीरे-धीरे सब जान जाइएगा।” इसके कुछ ही देर बाद बजट 2024 में बिहार की बल्ले-बल्ले नजर आई। पूर्वोदय योजना से बिहार को विकसित भारत की कड़ी में जोड़ने, बाढ़ से लड़ने के लिए विशेष पैकेज और एक्सप्रेस, सड़क, अस्पताल, एयरपोर्ट आदि के लिए भारी-भरकम आवंटन के बाद जदयू की प्रतिक्रिया सामने आ गई है। जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार के लिए कई योजनाओं के साथ विशेष पैकेज दिया है।
क्या इस बजट से बिहार बनेगा ‘आत्मनिर्भर’?
केंद्रीय बजट में बिहार पर केंद्रित विशिष्ट घोषणाओं का स्वागत करते हुए जदयू ने कहा कि यह राज्य के विकास और उसे आत्मनिर्भर बनाने में कारगर होगा। पार्टी का रुख रखते हुए केसी त्यागी ने कहा कि राजमार्गों के लिए 26,000 करोड़ रुपये से अधिक के बजटीय आवंटन और बाढ़ से लड़ने के लिए 11,500 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन से बिहार को केंद्र सरकार ने विशेष वित्तीय सहायता दी है। जदयू इसकी सराहना करता है। उन्होंने कहा कि राज्य में नए हवाई अड्डे और मेडिकल कॉलेज के अलावा गंगा नदी पर दो नए पुलों की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के विकास और नालंदा-राजगीर कॉरिडोर सहित पर्यटन स्थलों का विकास केंद्र सरकार की बड़ी सोच को दर्शाता है। गया को कोलकाता-अमृतसर कॉरिडोर का मुख्यालय बनाने और बिहार को तीन नए एक्सप्रेसवे देने का भी उन्होंने स्वागत किया।
प्रशांत किशोर ने नीतीश पर कसा तंज
बिहार को स्पेशल राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने पर चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने प्रतिक्रिया दी है. मंगलवार (23 जुलाई) को बयान जारी करते हुए कहा कि नीतीश कुमार पर तंज कसा और इसके लिए मुख्यमंत्री को ही एक तरह से जिम्मेदार ठहराया. पीके ने सवाल किया कि पिछले 18 साल में नीतीश कुमार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग करते कब देखा? नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट के साथ एक सर्वदलीय बैठक तक नहीं की.
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन इससे आपकी-हमारी गरीबी खत्म होने वाली नहीं है. कहा कि जब तक बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारा नहीं जाएगा और पूंजी का निवेश नहीं किया जाएगा तो विशेष राज्य का दर्जा देने से क्या हो जाएगा?
नीतीश कुमार की मांगें, जो पूरी नहीं हुईं
ये पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार की कोई मांग नरेंद्र मोदी सरकार ने ना मानी हो. इससे पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है. बीजेपी के समर्थन से ही नीतीश कुमार फ़िलहाल सीएम की कुर्सी पर हैं. लेकिन ध्यान रहे नीतीश कुमार एनडीए से दो बार दूरी बना चुके हैं. नीतीश कुमार साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2013 में एनडीए से अलग हुए थे. बाद में नीतीश ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था.
2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर फिर से एनडीए में शामिल हुए. बाद में 2022 में नीतीश एनडीए से नाता तोड़कर फिर महागठबंधन में आए. इसी साल जनवरी में लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए थे.
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से आरजेडी के पास 77 , बीजेपी के पास 78 और जेडीयू के पास 44 विधायक हैं. नीतीश कुमार एनडीए और महागठबंधन में आते-जाते रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि नीतीश कब तक बने रहते है।
हालाँकि इसबार नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि वे अब हमेशा के लिए एनडीए में आ गए हैं.
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