गंगा दशहरा पर करें इन मन्त्रों का जप… होगा पापों का नाश, जानें शुभ मुहूर्त

Ganga Dussehra Snan Muhurat : आज का दिन दो कारणों से बेहद खास है। पहला ये कि आज गंगा दशहरा पर्व है तो दूसरा ये कि आज अयोध्या राम मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा होनी है।

हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का दिन मां गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि वह दिव्य क्षण है जब स्वर्ग से बहती एक पवित्र धारा, पृथ्वी की धूल को छूकर उसे स्वर्ण बना गई।

सनातन परंपरा में गंगा को केवल नदी नहीं, मां का स्थान दिया गया है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजन का अनंत पुण्य फल प्राप्त होता है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त
गंगा दशहरा का पावन पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 4 जून को रात 11.54 बजे लगेगी और 5 जून को देर रात 2.15 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा। और गंगा स्नान का उत्तम मुहूर्त 5 जून को सुबह 4.07 बजे तक रहेगा, जो ब्रह्म मुहूर्त है। और 9.14 बजे तक रहने वाला सिद्धि योग भी गंगा स्नान और दान के लिए शुभ है। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान के बाद शिवजी की पूजा करने का भी महत्व है। माना जाता है कि शिव मंदिर में 11 दीये जलाने से मनोकामना पूरी होती है।

नदियों में श्रेष्ठ हैं मां गंगा
पद्म पुराण में कहा गया है कि नर्मदा, सरयू, बेतवा, तापी, ब्यास, यमुना आदि नदियों के स्नान से जितना फल मिलता है, उतना पुण्य सिर्फ गंगा स्नान से प्राप्त हो जाता है। गंगा जी के दर्शन मात्र से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार देवताओं में विष्णु भगवान श्रेष्ठ हैं उसी तरह नदियों में मां गंगा श्रेष्ठ हैं।

गंगा स्नान के दौरान जपें ये मंत्र
पद्म पुराण के अनुसार, गंगाजी का महात्म्य तो इतना है कि मां गंगा के मंत्र के श्रवण मात्र से पापों का नाश होता है और मनुष्य को विष्णु लोक में स्थान मिलता है। गंगा स्नान करते समय इस मंत्र का जप जरूर करेंः
गंगा गंगेति यो ब्रूयाद् योजनानां शतैरपि,
मुच्यते सर्वपापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।

गंगा पूजा में करें मन्त्रों का उच्चारण
गंगा स्नान के दौरान या उसके बाद मां गंगा की पूजा करते समय इन मंत्रों का जप भी अवश्य करना चाहिएः
यत्संस्मृतिः सपदि कृन्तति दुष्कृतौघं,
पापवलीं जयति योजनलक्षतोअपि।
यन्नाम नाम जगदुच्चरितं पुनाति
दिष्ट्या हि सा पथि दृशोर्भविताद्या गंगा।।

यानी जिनकी स्मृति पाप राशि का नाश कर देती है जो लाख योजन दूर से भी पापों के समूह को परास्त करती हैं, जिनके नाम का उच्चारण संपूर्ण जगत को पवित्र कर देता है, ऐसी मां गंगा सौभाग्य से मेरे दृष्टि पथ में आएंगी।

स्नान के बाद अर्घ्य देने की है परंपरा
गंगा स्नान के दौरान सूर्य देव और मां गंगा को अर्घ्य देना चाहिए। इस दौरान मां गंगा की उपासना में इस मंत्र का जप करना चाहिएः
द्रवीभूतं परं ब्रह्म परमानन्ददायिनी।
अर्घ्यं गृहाण में गंगे पापं हर नमोस्तुते।।अर्थात परम आनंद प्रदान करने वाली मां गंगा, आप जल रूप में अवतार लेने वाली साक्षात परब्रह्म हैं। आपको नमस्कार है। आप मेरा दिया हुआ अर्घ्य ग्रहण कीजिए और मेरे पापों को हर लीजिए।

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