तीर्थस्थल होने के अलावा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है द्वारका, जानें विशेषता

Dwarka

गुजरात के पश्चिमी सागर तट पर स्थित द्वारका को वैसे तो एक तीर्थ माना जाता है लेकिन अपनी ऐतिहासिकता, कलात्मकता, भवनों और प्रकृति की रमणीयता के कारण यह देश का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। द्वारका प्राचीन भारत की सात प्रसिद्ध पुरियों में से एक है।

द्वारका की विशेषताएँ

यहां उत्कृष्ट वास्तुकला को उजागर करतीं हुई अनेक इमारतें हैं। द्वारका अपने द्वारकाधीश मंदिर के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसे जगत मंदिर भी कहते हैं। पारम्परिक शैली में निर्मित यह मंदिर पांच मंजिला है।

भूतल से लेकर शिखर तक मंदिर के हर भाग को बखूबी तराशा गया है। यहां भगवान कृष्ण का जन्मदिवस बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग द्वारका में है, जिसे नागेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण से गहरा नाता

द्वारका नगर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित बेट द्वारका को बेट शंखोद्धार भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण यहीं अपने परिवार के साथ रहते थे। बेट द्वारका में बना भगवान कृष्ण का मंदिर एक पुराना घर मात्र है लेकिन इसकी मान्यता बहुत है।

प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल

द्वारका के अन्य दर्शनीय स्थलों में रूक्मिणी मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, मीरा बाई मंदिर, नरसी मेहता मंदिर आदि प्रमुख हैं।

कैसे पहुंचे द्वारका

द्वारका वीरमगाम से ओखा जाने वाली मीटरगेज रेलवे लाइन पर स्थित है। राजकोट, जामनगर और अहमदाबाद से यहां के लिए रेल सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

स्टेट हाइवे द्वारा द्वारका गुजरात व देश के अन्य भागों से जुड़ा हुआ है। गुजरात राज्य परिवहन निगम की बसें और निजी टैक्सियां आदि राज्य के विभिन्न भागों से द्वारका जाती हैं। सामान्यतः द्वारका पर्यटन के लिए मध्य सितंबर से मध्य मई तक का मौसम अनुकूल रहता है।

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