
Kesari Veer Review: सूरज पंचोली ने किया सॉलिड कमबैक, जबरदस्ती के इमोशन से बिगड़ा गेम
Kesari Veer Review: ‘केसरी वीर’ फिल्म से लंबे समय के बाद सूरज पंचोली ने थिएटर में एंट्री की है. इस फिल्म में उनके साथ आकांक्षा शर्मा, सुनील शेट्टी और विवेक ओबेरॉय भी अहम भूमिका में नजर आए हैं।
Kesari Veer Review: ‘छावा’ की कामयाबी ने साबित किया है कि अगर भारत के वीरों की कहानियां को, जिन्हें इतिहास ने भुला दिया या जिन्हें किताबों में जगह नहीं मिली, उनके शौर्य और बलिदान की कहानियां सही तरीके से दिखाई जाएं तो लोग उन्हें सिर-माथे पर लेते हैं। प्रथम ज्योतिर्लिंग- सोमनाथ मंदिर को मुगल सुल्तान मुहम्मद तुगलक के सूबेदार जफर खान की हजारों की सेना से बचाने की कोशिश में बलिदान हुए वीर हमीर गोहिल जी की शौर्य गाथा एक ऐसी ही कहानी है। इसे गुजरात में लोक-गीतों तक में सुनाया जाता रहा है। वीर हमीर जी की कहानी को इतिहास से रूबरू करवाने का इरादा लिए ‘केसरी वीर’ का ट्रेलर देखकर लगा कि ‘छावा’ का जादू वापस छाएगा और साथ में सूरज पंचोली का सूरज चमकने लगेगा लेकिन क्या वाकई ऐसा हो पाया?
कैसी है कहानी और निर्देशन
फिल्म की मुख्य कहानी हमीर गोहिल (सूरज पंचोली) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मंदिर को क्रूर आक्रमणकारी जफर खान (विवेक ओबेरॉय) से बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा देता है। सुनील शेट्टी मेघराज के रूप में एक महादेव भक्त योद्धा के किरदार में हैं, वहीं आकांक्षा शर्मा राजल के रूप में हमीर की प्रेमिका बनी हैं। फिल्म की शुरुआत एक डिस्क्लेमर के साथ होती है, जिसमें बताया गया है कि इसमें सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है। हालांकि यह रचनात्मक स्वतंत्रता इतनी ज्यादा हो जाती है कि जो दर्शक वीर हमीर जी की वास्तविक कहानी से परिचित हैं, उन्हें शुरुआती दृश्य में ही झटका लगता है।
कहानी में रोमांस, इमोशनल ड्रामा और एक्शन जैसे तत्वों को जबरन शामिल करने की कोशिश की गई है, जो दमदार कहानी को उसके ऐतिहासिक मूल उद्देश्य से भटका देती है। फिल्म की कहानी कई हिस्सों में काफी गंभीर भी है, कई हिस्से शानदार हैं खास तौर हमीर और वेंगड़ा की जफर खान के साथ लड़ाई। एक्शन सीन जानदार हैं, जिसमें सभी कलाकार जान फूंक रहे हैं। खास तौर पर आप हमीर और वेंगड़ा को देखना काफी पसंद करेंगे।
जानें कैसी है फिल्म
हमीरजी गोहिल की बहादुरी और बलिदान की कहानी निःसंदेह प्रेरणा से भरी है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन अफसोस, ‘केसरी वीर’ देखते हुए हम इस महान गाथा से जुड़ ही नहीं पाते हैं. फिल्म में ऐसे कई सीन हैं, जिन्हें देखकर बार-बार ‘बाहुबली’, ‘पद्मावत’ की याद आती है. ऐसे लगता है जैसे निर्देशक ने बस इन बड़ी फिल्मों से प्रेरणा नहीं ली, बल्कि कुछ सीन्स को सीधा ‘कॉपी-पेस्ट’ कर दिया है. और तो और, कहानी के बीच में बिना किसी जरूरत के अचानक बजने वाले गाने, फिल्म के मूड को पूरी तरह खराब कर देते हैं.